Astra MK-1 के निर्माण के लिए स्वदेशी कंपनी BDL से रक्षा मंत्रालय का करार, जानिए कितनी खतरनाक है मिसाइल

Defence Ministry ने Missile के निर्माण में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ा समझौता किया है. अस्त्र मिसाइल सिस्टम के निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय ने BDL से समझौता किया है. ये मिसाइल Indian Air Force और Indian Navy के लिए अहम है.

अस्त्र मिसाइल के निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय का BDL से करार
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2022,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST
  • अस्त्र मिसाइल के निर्माण के लिए करार
  • रक्षा मंत्रालय ने BDL से किया करार

रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल सिस्टम के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने को लेकर बड़ा समझौता किया है. 2971 करोड़ रुपए का ये समझौता सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड से किया गया है. मंत्रालय ने इस कंपनी को अस्त्र एमके-1 मिसाइल सिस्टम के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट दिया है. ये मिसाइलें इंडियन एयरफोर्स और इंडियन नेवी के लिए काफी अहम हैं. इन मिसाइलों को फाइटर जेट्स के जरिए दागा जा सकता है. अस्त्र एमके-1 मिसाइल सिस्टम इतना खतरनाक क्यों हैं और क्यों भारतीय सेना के लिए ये जरूरी है. चलिए बताते हैं...

क्या है अस्त्र मिसाइल-
'अस्त्र' हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने बनाया है. भारत की बनाई गई इस तरह की पहली मिसाइल है. ये मिसाइल बिना दुश्मनों के नजर में आए हवा में ही टारगेट को भेदने में सक्षम है.

क्या है इसकी खासियत-
भारत में विकसित किया गया 'अस्त्र' मिसाइल सिस्टम काफी घातक है. इसकी बियॉन्ड विजुअल रेंज क्षमता इसे खतरनाक बनाती है. इस मिसाइल सिस्टम में क्या खास है, चलिए बताते हैं...
इसका वजह 154 किलोग्राम है
लंबाई 3.84 मीटर और चौड़ाई 178 एमएम
अस्त्र मिसाइल 15 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम
अस्त्र एमके-1 मिसाइल 110 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है
अगर 15 किलोमीटर की ऊंचाई से दागी जाएगी तो 110 किलोमीटर तक रेंज
अगर 8 किलोमीटर की ऊंचाई से दागी जाएगी तो 44 किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम
सतह पर 21 किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम
अस्त्र की अधिकतम रफ्तार 5557 किलोमीटर प्रति घंटा है

कैसे दागी जा सकती है मिसाइल-
अस्त्र एमके-1 को कई विमानों से दागा जा सकता है. इसे मिग-29यूपीजी, मिग-29के, सुखोई-30एमकेआई, तेजस एमके 1/1ए और एलसीए एमके 2/MWF से दागी जा सकती है. इस मिसाइल सिस्टम में फाइबर ऑप्टिक गाइरो बेस्ड इनर्शियल नेवीगेशन सिस्टम लगा है. इस मिसाइल को तेजस, मिराज से भी दागे जाने की योजना है.

मिसाइल का टेस्ट-
साल 2003 में अस्त्र मिसाइल का बिना नियंत्रण और मार्गदर्शन प्रणाली के टेस्ट किया गया था. साल 2007 में फिर से मिसाइल का परीक्षण किया गया. 13 दिसंबर 2008 को अस्त्र मिसाइल का जमीनी परीक्षण किया गया. 11 जनवरी 2010 को ओडिशा के चांदीपुर में परीक्षण किया गया, लेकिन ये टेस्ट सफल नहीं हुआ. इसके बाद साल 2010 में अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया. साल 2014 में पहली बार आसमान में विमान से मिसाइल का टेस्ट किया गया. 

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