
सूर्य का किसी राशी विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य हर माह में राशी का परिवर्तन करता है, इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में बारह संक्रांतियां होती हैं. परन्तु दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं-मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति. सूर्य जब मकर राशी में जाता है तब मकर संक्रांति होती है और जब कर्क राशि में जाता है तब कर्क संक्रांति होती है. मकर संक्रांति से अग्नि तत्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्व की. इस समय सूर्य दक्षिणायन होता है, वातावरण में तमस बढ़ता चला जाता है. इस बार कर्क संक्रांति 16 जुलाई को है.
कर्क संक्रांति का महत्व
कर्क संक्रांति को हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसको श्रावण संक्रांति भी कहा जाता है. इस समय से तामसिक शक्तियां प्रभावशाली होने लगती हैं. अतः यह माना जाता है कि यह देवताओं की रात्रि है. इस समय देवताओं की शक्ति क्षीण हो जाती है. अतः मंगल और शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस समय में पूजा उपासना और ध्यान से ही शक्ति मिल सकती है. इस दिन दान करना बहुत ज्यादा लाभकारी होता है.
सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश से क्या प्रभाव पड़ेगा?
सूर्य कर्क राशि में प्रवेश कर रहे हैं. यहां पर सूर्य शनि और मंगल से दृष्ट होंगे. साथ ही उनके साथ बुध भी विद्यमान रहेंगे. इससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ेगी. जल से आपदा, भूकंप और भूस्खलन जैसी स्थितियां बनेंगी. राजनीतिक रूप से बड़े सारे परिवर्तन हो सकते हैं. आम जनता के लिए समस्याएं बढ़ेंगी. इस समय लोगों को रोजगार में समस्याएं आ सकती हैं.
इस दौरान करें ये उपाय
-प्रातः काल सूर्य की उपासना करें
- सूर्य मंत्र का जप करें
- मंत्र - "ॐ आदित्याय नमः"
- निर्धनों को अन्न और वस्त्र का दान करें
- पीपल या बरगद का पौधा लगाएं
- एक ताम्बे का कड़ा या छल्ला धारण करें