सावन का महीना भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का विशेष समय है, और इसमें सावन की शिवरात्रि का महत्व सबसे अधिक है. यह पर्व कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव का प्रकाश के लिंग के रूप में प्राकट्य हुआ था और यह भी माना जाता है कि शिव जी का विवाह भी इसी दिन हुआ था. सावन की शिवरात्रि पर व्रत, उपवास, मंत्र जप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व है. रामचरितमानस में कहा गया है कि 'जो तप करे कुमारी तुम्हारी भावी में टिसके उत्त्रिपुरारी' यानी जो आपका प्रारब्ध है, जो आपका भाग्य है उसको बदलने की क्षमता केवल भगवान शिव के पास है.