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Layoffs: अमेजन, फेसबुक, ट्विटर के बाद अब गूगल ने हजारों कर्मचारियों को निकाला, कंपनियां छंटनी क्यों कर रहीं ? पूरी कहानी जान लीजिए

दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों में छंटनी का दौर जारी है. अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, स्नैपचैट, सीगेट, मेटा के बाद अब गूगल ने कर्मचारियों को बाहर जाने का फरमान सुनाया है. आइए जानते हैं जो कंपनियां ताबड़तोड़ भर्ती कर रहीं थी, वे उसी रफ्तार से कर्मचारियों की छंटनी क्यों कर रही हैं?

छंटनी से कर्मचारी परेशान. छंटनी से कर्मचारी परेशान.
हाइलाइट्स
  • गूगल के सीईओ ने 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा की है

  • साल 2022 में 50 बड़ी टेक कंपनियों ने दुनिया भर में 1 लाख लोगों को नौकरी से निकाला था

दुनिया में अचानक चारों ओर से छंटनी की आंधी शुरू हो गई. ट्विटर अपने आधे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा चुका है. अमेजन, फेसबुक, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां भी हजारों कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी हैं. अभी हाल ही में गूगल के सीईओ सुन्दर पिचई ने 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा की है. 2022 में कुल 50 बड़ी टेक कंपनियों ने दुनिया भर में 1 लाख लोगों को नौकरी से निकाला था. आइए जानते हैं बड़ी टेक कंपनियां  ताबड़तोड़ अपने कर्मचारियों को नौकरी से क्यों निकाल रही हैं? भारत में इसका कितना असर पड़ रहा है?

फेसबुक 
नवंबर 2022 में फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने टोटल वर्कफोर्स का 13 प्रतिशत यानी 11 हजार कर्मियों को बाहर निकाल दिया था. मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कर्मचारियों को छंटनी की जानकारी देते हुए लिखा था कि बड़ी टेक कंपनियां मुश्किल दौर से गुजर रही हैं. कंपनी के लिए प्रॉफिट कमाना मुश्किल होता जा रहा है. मजबूरी में कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है.

ट्विटर 
नवंबर 2022 में ट्विटर ने 3,800 कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया. ये आंकड़ा ट्विटर में काम करने वाले कुल कर्मचारियों का 50% था. इतना ही नहीं ट्विटर हेड एलन मस्क ने 4,500 कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड कर्मचारियों को भी बाहर का रास्ता दिया दिया. बिना नोटिस दिए अचानक से इन कर्मचारियों को निकाला गया था. एलन मस्क ने इंडियन टीम में काम कर रहे 230 में से 180 कर्मचारियों को भी नौकरी से निकाल दिया.

अमेजन 
अमेजन ने टोटल वर्कफोर्स का छह प्रतिशत यानी 18 हजार कर्माचारी को बाहर का रास्ता दिखाया है. इनमें से 1,000 भारतीय थे. अभी निकाले गए कई कर्मचारी बेरोजगार हैं. इसके अलावा स्नैपचैट ने 6400 को, एचपी ने छह हजार को कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. 

गूगल
नौकरी के लिहाज से दुनिया में सबसे बेहतर वर्क प्लेस माने जाने वाले गूगल ने भी छंटनी का ऐलान किया है. गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट ने एक झटके में 12,000 कर्मचारियों यानी कुल वर्कफोर्स के छह प्रतिशत लोगों को निकालने का फैसला किया है.

जानिए छंटनी की वजह
अब डिमांड नहीं 
कोरोना महामारी के दौरान मांग में उछाल आया क्योंकि लोग लॉकडाउन में थे और वे इंटरनेट पर बहुत समय बिता रहे थे. समग्र खपत में वृद्धि देखी गई जिसके बाद कंपनियों ने बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने उत्पादन में वृद्धि की. मांगों को पूरा करने के लिए कई तकनीकी कंपनियों ने महामारी के बाद भी उछाल जारी रहने की आशंका जताते हुए अधिक कर्मचारियों को काम पर रखा. हालांकि, जैसे-जैसे प्रतिबंधों में ढील दी गई और लोगों ने अपने घरों से बाहर निकलना शुरू किया, काम गिर गया, जिसके परिणामस्वरूप इन बड़ी टेक कंपनियों को भारी नुकसान हुआ. इनमें से कुछ संसाधनों को मांग में अचानक वृद्धि के कारण उच्च कीमत पर नौकरी पर रखा गया था. टेक कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा डिजिटल एडवरटाइजिंग से आता है. महामारी के बाद मार्केट डिमांड कम होने का असर एडवरटाइजिंग पर भी पड़ा. एक साल में फेसबुक मेटा की सालाना कमाई 756 करोड़ से कम होकर 351 करोड़ पर आ गई. अब कंपनियां कर्मियों की छंटनी कर रही हैं. 

नहीं मिल रहे इन्वेस्टर्स
लगातार वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम जैसे संस्थानों से वैश्विक मंदी की चेतावनी मिलने की वजह से स्टार्टअप इकोसिस्टम लड़खड़ा रहा है. स्टार्टअप्स आमतौर पर इन्वेस्टर्स से मिले रिस्क कैपिटल के भरोसे अपना बिजनेस आगे बढ़ाते हैं. साल 2022 में भारत में 266 टेक स्टार्टअप कंपनियां फंडिंग न मिल पाने की वजह से बंद हो गईं. मार्केट में डिमांड कम होने की वजह से कंपनियों की कमाई कम हुई. ऐसे में रिटर्न चुकाने के लिए कंपनियां खर्चे कम करने की कोशिश करती हैं. इसी का नतीजा है कि लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है.

मंदी का डर
चूंकि मांग पूर्व-कोविड स्तर पर वापस आ रही है और कर्ज बढ़ने और मंदी के डर को देखते हुए, ये कंपनियां कम चलने वाली परियोजनाओं को बंद करके और विकास को गति देने के लिए किराए पर लिए गए अतिरिक्त और उच्च लागत वाले संसाधनों को बंद करके अपनी लागत में कटौती कर रही हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध
युद्ध ने भी इन छंटनी में अपने जाने-अनजाने योगदान दिया है क्योंकि इसने बाजार को और अधिक अस्थिर बना दिया है. 

रेपो रेट
महंगाई दर को कंट्रोल करने के लिए सेंट्रल बैंक रेपो रेट बढ़ा देता है. रेपो रेट यानी जिस ब्याज दर पर आरबीआई दूसरे बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट ज्यादा होने की वजह से कंपनियों को अपना बिजनेस बढ़ाने में परेशानी होती है. ऐसे में नेट प्रॉफिट ज्यादा हो इसलिए कंपनियां अपना खर्च कम करने की कोशिश करती हैं. इस वजह से कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी में कटौती करती हैं या उन्हें नौकरी से निकाल देती हैं.

मुद्रास्फीति
बढ़ती महंगाई ने कई विश्व अर्थव्यवस्थाओं को भी बुरी तरह प्रभावित किया है जिससे नौकरी के बाजार में भी संकट पैदा हो गया है. दुनिया इस समय इन सभी उतार-चढ़ावों से उबरने के लिए एक रीसेट बटन दबा रही है.  चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, भारत और जापान जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में इसका असर देखने को मिला है. 2023 आर्थिक दृष्टि से बहुत कठिन साल रहने वाला है. यूरोप में मंदी आ चुकी है. इसको देखते हुए लग रहा है भारत में भी मंदी आएगी.

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