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अफ्रीकी देश में तीन दशकों में बाद आया पोलियो का पहला मामला, क्या भारत को भी है डरने की जरूरत

मोजाम्बिक में 1992 के बाद से यह पहला मामला आया है. मोजाम्बिक में आए केस का बाद यह दक्षिणी अफ्रीका में पोलियोवायरस का दूसरा मामला है.

Polio Virus Polio Virus
हाइलाइट्स
  • इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन (IPV) रोगी की उम्र के आधार पर पैर या बांह में इंजेक्शन के रूप में दी जाती है

  • ओरल पोलियोवायरस वैक्सीन (OPV) अभी भी दुनिया भर में प्रयोग किया जाता है

अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में तीन दशकों में पहला पोलियो का मामला दर्ज किया गया है. दरअसल, इस साल की शुरुआत में मलावी नाम की एक बीमारी फैलने के बाद, मोजाम्बिक में 1992 के बाद से यह पहला मामला आया है. मोजाम्बिक में आए केस का बाद यह दक्षिणी अफ्रीका में पोलियोवायरस का दूसरा मामला है. आपको बता दें , अफ्रीका के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मत्शिदिसो मोएती के अनुसार, नए मामले का आना  "काफी चिंताजनक" है. उनके मुताबिक इससे पता चलता है कि यह वायरस कितना खतरनाक है और कितनी जल्दी फैल सकता है.

2020 में अफ्रीका हो गया था वाइल्ड पोलियो वायरस फ्री देश 

आपको बताते चलें, डब्ल्यूएचओ ने अफ्रीका को 2020 में वाइल्ड पोलियो वायरस से मुक्त घोषित किया था. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार पोलियो उन्मूलन वैश्विक स्वास्थ्य सफलता की कहानियों में से एक रहा है और वाइल्ड पोलियो वायरस अब केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ही बचा है. मोज़ाम्बिक में जो मामला आया है वो उत्तर-पूर्वी टेटे प्रांत में आया है. जो बच्चा इससे इन्फेक्टेड हुआ था  उसमें मार्च के आखिर से ही पैरालिसिस के लक्षण अनुभव होना शुरू हो गए थे. 

क्या है पोलियो क्या है?

गौरतलब है कि पोलियो, या पोलियोमाइलाइटिस (poliomyelitis), एक फैलने वाली बीमारी है. जो मुख्य रूप से मल द्वारा ओरल कंटैमिनेशन से फैलती है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, क्योंकि वायरस एक संक्रमित व्यक्ति के मल में होता है, ये बीमारी आसानी से एक संक्रमित इंसान से दूसरों तक फैल सकती है. किसी इन्फेक्टेड इंसान के हाथ से अगर लोग पानी भी पीते हैं या संक्रमित मल से दूषित भोजन खाते हैं तो भी लोग संक्रमित हो सकते हैं.

क्या कोई इलाज है?

ये वायरस बच्चों में लकवा पैदा कर सकता है और उन्हें अपंग बना सकता है और कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है. बता दें, इसका कोई इलाज नहीं है. हालांकि, पोलियो वैक्सीनेशन ने इस बीमारी को दुनिया से खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाई है. ये वायरस इंसान की आंत में बढ़ता जाता है. जहां से उसके नर्वस सिस्टम पर आक्रमण करता है और पैरालिसिस का कारण बन सकता है. एक बार ऐसा हो जाने पर, रोगी जीवन भर के लिए अपंग हो जाता है.

पोलियो के लक्षण?

सीडीएस के अनुसार, अधिकांश लोग जो पोलियो वायरस, (100 लोगों में से लगभग 72 लोग) से संक्रमित हो जाते हैं, उनमें कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. पोलियोवायरस संक्रमित वाले 4 में से 1 व्यक्ति (या 100 में से 25) में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें गले में खराश, बुखार, थकान, मतली, सिरदर्द और पेट दर्द जैसे लक्षण शामिल हैं. ये लक्षण आमतौर पर 2 से 5 दिनों तक रहते हैं, और फिर अपने आप चले जाते हैं.

वहीं, पोलियोवायरस संक्रमण वाले लोगों में कुछ ऐसे भी मामले होते हैं (100 में से एक से बहुत कम, या 1000 में से 1 या 5) जिनमें ये लक्षण गंभीर होते हैं जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करते हैं.

बताते चलें, परलत्सिस पोलियो से जुड़ा सबसे गंभीर लक्षण है क्योंकि या तो विकलांग हो जाता है या फिर  उसकी मृत्यु हो जाती है. पोलियो वायरस के संक्रमण से लकवा ग्रस्त 100 में से 2 से 10 लोगों की मृत्यु हो जाती है, क्योंकि वायरस व्यक्ति की उन मांसपेशियों को प्रभावित करता है जो उन्हें सांस लेने में मदद करती हैं.

इतना ही नहीं है बल्कि जो बच्चे पूरी तरह से ठीक होने लगते हैं, वे 15 से 40 साल बाद उन वयस्कों में मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी या पैरालिसिस जैसे लक्षण विकसित हो सकते हैं. इसे पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम कहा जाता है.

कैसे फैलता है?

एक संक्रमित व्यक्ति में लक्षण दिखने के तुरंत पहले और 2 सप्ताह तक दूसरों में वायरस फैला सकता है. संक्रमित व्यक्ति के मल में यह वायरस कई हफ्तों तक जीवित रह सकता है. अगर आप साफ़ सफाई से नहीं रहते हैं तो यह आपके भोजन और पानी को दूषित कर सकता है. जिन लोगों में लक्षण नहीं होते हैं, वे भी वायरस को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं और उन्हें बीमार कर सकते हैं.

पोलियो का टीका

इसके लिए पोलियो का टीका है. यह बच्चों के शरीर को पोलियो वायरस से लड़ने के लिए तैयार करके उनकी रक्षा करता है. लगभग सभी बच्चे (100 में से 99 बच्चे) पोलियो टीके की सभी डोज मिलती हैं, उन्हें पोलियो से बचाया जा सकता है. पोलियो से बचाव के दो प्रकार के टीके हैं:

1. इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन (IPV) रोगी की उम्र के आधार पर पैर या बांह में इंजेक्शन के रूप में दी जाती है. 

2. ओरल पोलियोवायरस वैक्सीन (OPV) अभी भी दुनिया भर में प्रयोग किया जाता है.

भारत में पोलियो के मामले

भारत में तीन साल के पोलियो का एक भी मामला नहीं आया है. जिसके बाद जनवरी 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था. देश में वाइल्ड पोलियो वायरस का आखिरी मामला 13 जनवरी, 2011 को सामने आया था. डब्ल्यूएचओ ने 24 फरवरी, 2012 को भारत को वाइल्ड पोलियोवायरस ट्रांसमिशन वाले देशों की लिस्ट से हटा दिया था.
 
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