जम्मू-कश्मीर में इस साल चुनाव हो सकते हैं. चुनाव आयोग ने वोटिंग को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है. आयोग के मुताबिक गैर-कश्मीरी लोग भी अब राज्य में वोट डाल सकते हैं. इसके लिए उनको वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल कराना होगा. इसमें जम्मू-कश्मीर में रह रहे बाहरी लोग, सुरक्षाबलों के जवान शामिल हैं. वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के लिए स्थानीय निवास प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. इससे जम्मू-कश्मीर में वोटर्स की संख्या बढ़ जाएगी. करीब 25 लाख नए वोटर बढ़ सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर की चुनावी प्रक्रिया में पहली बार इतना बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. इससे पहले भी धारा 370 हटाए जाने के बाद कई चीजें बदल चुकी हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया. उसके बाद लगातार राज्य में चुनावी प्रक्रिया में बदलाव किए जा रहे हैं.
अनुच्छेद 35ए में वोटिंग का अधिकार-
जम्मू-कश्मीर में साल 2019 से पहले धारा 370 लागू था. इसके तहत अनुच्छेद 35ए प्रभावी था. इसमें जम्मू-कश्मीर में गैर-कश्मीरियों को वोटिंग का अधिकार नहीं था. दलित, रिफ्यूजी और गोरखा भी वोट नहीं डाल सकते थे. इतना ही नहीं, अगर कोई युवती कश्मीरी भी है और उसने गैर-कश्मीरी से शादी कर ली है तो उससे वोट डालने का अधिकार छीन जाता था. अनुच्छेद 35ए के मुताबिक आजादी के बाद जो लोग पाकिस्तान से आए और जम्मू-कश्मीर में बस गए. उनको भी वोटिंग का अधिकार नहीं था. गैर-कश्मीरियों को विधानसभा में वोट डालने का अधिकार नहीं था, लेकिन वो लोकसभा में वोट डाल सकते थे. इतना ही नहीं, इन लोगों को जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने और स्थाई तौर पर बसने का भी अधिकार नहीं था.
UT बनने के बाद बदल गए सियासी हालात-
साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा दिया गया. इसके साथ ही अनुच्छेद 35ए हट गया. इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. यूटी बनने के बाद चुनावी प्रक्रिया में कई चीजें बदल गईं. दलित, रिफ्यूजी, गोरखा और गैर-कश्मीरियों से शादी करने वाली महिलाओं को भी वोटिंग का अधिकार मिल गया. अब चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में रहने वाले बाहरी लोगों और सुरक्षाबलों को भी वोटिंग का अधिकार दे दिया है. सिर्फ उनको वोटर लिस्ट में अपना नाम डलवाना होगा.
परिसीमन से बदल गए समीकरण-
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के लिए एक कमेटी बनाई. कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है. जम्मू में 6 सीटें और कश्मीर में एक सीट बढ़ाई गई है. परिसीमन के बाद कश्मीर में 47 और जम्मू में 43 सीटें हो गई हैं. पहली बार कमेटी ने एसटी कोटे के लिए 9 सीटों को रिजर्व रखा है. जिसमें 6 सीटें जम्मू और 3 सीटें कश्मीर के लिए हैं. कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें रिजर्व रखा गया है.
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