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Rankshetra: क्यों अमेरिका के लिए ईरान का परमाणु बम बनाना था चिंता का विषय?

1970 के दशक में ईरान ने परमाणु इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्रों को अमेरिका भेजा, जिसका खर्च शाह ने उठाया. एमआईटी से लौटे कई छात्रों ने ईरान का परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ाया. मोहम्मद रज़ा शाह ने ईरान में 20 परमाणु रिएक्टर शुरू करने की घोषणा की और अमेरिका के अलावा फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों से भी परमाणु समझौते किए. शाह ने एक फ्रांसीसी अखबार से कहा था कि ईरान जल्दी ही परमाणु हथियार बना सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर छोटे देश परमाणु हथियारों से लैस होना चाहते हैं, तो ईरान को भी अपनी नीति बदलनी होगी. अमेरिका के लिए ईरान का परमाणु बम बनाने का इरादा चिंता का विषय था. ईरान ने तब कहा था कि यूरेनियम का संवर्धन करना उसका हक है. सत्ता परिवर्तन के बाद अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से हाथ खींच लिया. ईरान को चीन, नॉर्थ कोरिया और रूस से मदद मिली. भारत ने भी आजादी के कुछ साल बाद परमाणु ताकत की जरूरत महसूस की और 1960 के दशक में इस पर काम शुरू किया. 18 मई 1974 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण 'स्माइलिंग बुद्धा' कोड नेम से किया. 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1964 में चीन के परमाणु परीक्षण ने भारत को अपनी रक्षा नीति पर दोबारा सोचने पर मजबूर किया.