scorecardresearch

बारिश की हर बूंद बचा रहे हैं ये Lakemen, कई झीलों को दिया जीवनदान, हजारों घरों में लगवाया Rainwater Harvesting System

आज देश में कई जलवीर हैं जो अपने प्रयासों से अलग-अलग स्तर पर पानी और जलस्त्रोतों को बचाने में जुटे हैं. यह कहानी है ऐसे ही जलवीरों की जिन्होंने तमिलनाडु में कई झीलों को जीवनदान दिया है.

Bathalapalli Lake (Photo: Facebook) Bathalapalli Lake (Photo: Facebook)
हाइलाइट्स
  • कृष्णागिरी जिले के लगभग 1,000 घरों में वर्षा जल संचयन को अपनाया है

आए दिन हम देश के किसी न किसी तालाब, झील या नदी के सूखने या प्रदूषित होने की खबरें पढ़ते-सुनते हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐस शख्स के बारे में जो पिछले काफी समय से मरती हुई झीलों को बचाने में जुटा है. यह कहानी है होसुर के रहने वाले 56 वर्षीय ए लक्ष्मणन की. 

साल 2013 उन्होंने होसुर में मारुति नगर के निवासियों और बथलापल्ली के ग्रामीणों के साथ मिलकर मरती हुई बाथलापल्ली झील को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया था. लेकिन उनके सारे प्रयास व्यर्थ गए क्योंकि उस मौसम में बारिश का पानी झील तक नहीं पहुंच पाया था. हालांकि, लक्ष्मणन ने हार नहीं मानी. और उनके प्रयासों से आखिरकार यह झील एक बार फिर जी उठी. 

बारिश का पानी सहेजकर बचाई झीलें 
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने विशेषज्ञों से मुलाकात की और पानी के प्रवाह को रोकने वाले लगभग 600 मीटर के गंदे इंटेल चैनल को साफ किया. जिससे बाथलापल्ली झील ने फिर से सांस ली और लक्ष्मणन के प्रयासों के कारण लोग उन्हें 'Lakeman' कहने लगे. 

समय के साथ, लक्ष्मणन के साथ दो और दोस्त जुड़ गए- ए थॉमस जॉन (50), और एम जगन (70). जिनके साथ मिलकर वह रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर काम कर रहे हैं. उनके अथक प्रयासों से, कृष्णागिरी जिले के लगभग 1,000 घरों में वर्षा जल संचयन को अपनाया है. 

रेनवाटर हार्वेस्टिंग से सुलझी कई समस्याएं
ये तीनों दोस्त मिलकर आज होसुर के आसपास की झीलों को फिर से जीवंत करने में जिला प्रशासन की मदद कर रहे हैं. उन्होंने होसुर के पास अंधीवाड़ी, कर्नूर, पूनापल्ली और दशरपल्ली जैसी झीलों को पुनर्जीवित किया है. जिससे आसपास के इलाकों को जलस्तर बढ़ा है. होसुर के जल संकट पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इन तीनों जलवीरों ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी कार्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए. 

लक्ष्मणन का दावा है कि अगर बोरवेल को बारिश के पानी से रिचार्ज किया जाता है, तो भूजल में फ्लोरोसिस की मात्रा कम हो जाती है. उन्होंने राज्य सरकार से बारिश के पानी को छोड़े गए बोरवेल में जमा करने के लिए भी कहा. 

हो रही पैसों की बचत
होसुर के मुनीस्वरार नगर के एक निजी स्कूल में तमिल शिक्षक एस गणेशन (56) ने कहा कि उन्होंने अपने स्कूल में वर्षा जल संचयन प्रणाली से प्रेरित होकर, अपने घर पर एक RWH फ़िल्टर लगवाया, और अब गर्मियों में वह पानी पर 900 रुपये प्रति माह की बचत कर रहे हैं. 2019 में, लक्ष्मणन के कार्यों से प्रभावित होकर, एलासागिरी के एस सतीश कुमार (41) ने भी लोगों को वर्षा जल संचयन के बारे में शिक्षित करना शुरू किया और लगभग 85 घरों में आरडब्ल्यूएच प्रणाली को लागू करवाया.