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भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं के बारे में NISAR पहले से ही करेगी अलर्ट, जानें दुनिया की सबसे महंगी अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट के बारे में

NISAR SATELLITE FEATURES: इसरो और नासा ने निसार सैटेलाइट को मिलकर विकसित किया है. ये भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं के बारे में पहले से ही अलर्ट करेगी. बता दें, ये दुनिया की सबसे महंगी अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है.

निसार (फोटो- नासा) निसार (फोटो- नासा)
हाइलाइट्स
  • पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों का लगा सकेगा पता

  • भारत ने 9 साल पहले देखा था मिशन का सपना

आजादी के 75 सालों के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने संयुक्त रूप से एक नया सैटेलाइट विकसित किया है. ये एक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट यानी धरती पर नजर रखने वाला उपग्रह है. नासा और इसरो के इस ज्वाइंट वेंचर को एक खास नाम दिया गया है NISAR यानी नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार. इस सैटेलाइट को 8 मार्च को अमेरिका के कैलिफोर्निया से बेंगलुरु लाया गया है. अमेरिकी वायुसेना का C-17 ग्लोबमास्टर विमान इस सैटेलाइट को लेकर भारत पहुंचा था.

आपको बता दें कि निसार सैटेलाइट बेहद खास है. ये दुनिया की पहली ऐसी सैटेलाइट है, जो अंतरिक्ष से पृथ्वी की सतह को सबसे करीब से स्कैन (Scan) कर सकती है. साथ ही पृथ्वी की सतह में होने वाले छोटे से छोटे बदलाव के बारे में भी पता लगा सकती है. 

भारत ने 9 साल पहले देखा था मिशन का सपना 

बताते चलें कि भारत ने इस मिशन का सपना 9 साल पहले देखा था. जो अब पूरा होने जा रहा है. इसके लिए 2014 में NASA और ISRO के बीच एक समझौता हुआ था. जिसमें धरती पर नजर रखने के लिए 2800 किलोग्राम के इस सैटेलाइट के निर्माण की योजना बनाई गई थी. इस समझौते में तय किया गया कि इस सैटेलाइट में दो रडार होंगे, एक L-band Radar जिसे NASA तैयार करेगा. जबकि दूसरा S-band सिंथेटिक एपर्चर रडार यानी SAR, जिसे ISRO तैयार करेगा. बता दें, ये सैटेलाइट L-बैंड और S-बैंड से मिलाकर बनाई जा रही है. यही वजह है कि इसे ड्यूल फ्रीक्वेंसी इमेजिंग रडार सैटेलाइट कहा जाता है. 

पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों का लगा सकेगा पता

इतना ही नहीं बल्कि ये सैटेलाइट मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना दिन और रात डेटा जुटा सकता है. निसार में 39 फीट यानी करीब 12 मीटर की रिफ्लेक्टर एंटीना को लगाया गया है, जो रडार की मदद से डेटा इकट्ठा करेगा, इस सैटेलाइट में 2 रडार लगाए गए हैं, जिनकी मदद से ये सैटेलाइट पृथ्वी की सतह पर 1 सेंटीमीटर से भी कम क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों का पता लगा सकेगा.  

क्या होंगे निसार सैटेलाइट के फायदे?

-ये सैटेलाइट किसी भी तरह की आपदा यानी तूफान ज्वालामुखी, भूकंप की पहले ही जानकारी दे देगा. यानी किसी भी खतरे के आने से पहले ही ये सैटेलाइट भविष्यवाणी कर देगी. 

-प्राकृतिक आपदा और इको-सिस्टम में बदलावों से जुड़ी जानकारी और डेटा मिलेगा, जिससे जलवायु परिवर्तन को लेकर जानकारी मिल सकेगी. 

-इसके अलावा इस सैटेलाइट से मिलने वाली जानकारी का इस्तेमाल फसलों की पैदावार बढ़ाने, मिट्टी में नमी का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है. इस सैटेलाइट की मदद से कृषि प्रबंधन और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार होने की संभावना है.

-इसके अलावा ये सैटेलाइट वनों की कटाई, तेजी से बढ़ते शहरीकरण पर निगरानी का भी काम करेगी. 

-ये ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जलस्तर के बढ़ने और कार्बन स्टोरेज की भी जानकारी देगा. 

-इसरो निसार सैटेलाइट का इस्तेमाल हिमालय और भूस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों में ग्लेशियरों की निगरानी के लिए करेगा. 

अगले साल से धरती की करेगा निगरानी

निसार सैटेलाइट अंतरिक्ष से हमारी पूरी दुनिया पर नजर रखेगा. धरती पर कुदरत के कहर की जानकारी देने के साथ-साथ ये धरती पर अंतरिक्ष से आने वाले खतरों के बारे में भी आगाह करेगा. इसके साथ ही ये अंतरिक्ष में धरती के चारों तरफ जमा हो रहे कचरे की जानकारी भी देगा. ये शानदार सैटेलाइट अगले साल से धरती की निगेहबानी के लिए आसमान में तैनात हो जाएगा.