कलयुग में भगवान सत्यनारायण की पूजा को सबसे कल्याणकारी और सरल उपासना माना गया है. यह नारायण के सत्य रूप की आराधना है, जो घर में उथल-पुथल या जीवन की राह कठिन होने पर सुख, शांति और संपन्नता प्रदान करती है. इस पूजा से हजारों यज्ञों का फल प्राप्त होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. दाम्पत्य जीवन को मधुर बनाने में भी यह सहायक है. भगवान सत्यनारायण श्रीहरि का परम कल्याणकारी स्वरूप हैं और उनकी कथा सुनने से सौभाग्य में वृद्धि होती है, साथ ही जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं. भगवान विष्णु ने नारद से कहा था कि "सत्य ही ईश्वर है सत्य का आचरण मतलब ईश्वर की आराधना". ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके इंसान अपने तमाम दुखों से मुक्ति पा सकता है. यह व्रत ग्रह शांति, सुख समृद्धि, शीघ्र विवाह, सुखद वैवाहिक जीवन, संतान संबंधी अनुष्ठान, आयु रक्षा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यह पूजा बिना व्रत के भी की जा सकती है और पूर्णिमा, बृहस्पतिवार या एकादशी जैसे विशेष मुहूर्त में इसका विशेष फल मिलता है. भगवान सत्यनारायण की पूजा से कुंडली के नवग्रह की पीड़ा का भी निदान संभव है, क्योंकि सभी ग्रह भगवान विष्णु द्वारा संचालित हैं. इस उपासना में गौरी, गणेश, नवग्रह और समस्त देवपाल भी शामिल हो जाते हैं. केले का पेड़ या घर का ब्रह्म स्थान इसकी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान है. पंजीरी, पंचामृत, फल और तुलसी दल इस पूजा के लिए अति महत्वपूर्ण हैं. यह उपासना जीवन के सभी विकारों को नष्ट कर सुख का आगमन करती है.