गिलोय की बेल भारत में गांव तो क्या शहरों में भी बहुत से घरों में आसानी से मिल जाएगी.
यह आयुर्वेद की सबसे शक्तिशाली जड़ी-बूटियों में से एक मानी जाती है.
गिलोय बुखार, डेंगू, चिकनगुनिया, गाउट, वायरल फीवर, खांसी-जुकाम, ऑटोइम्यून रोग, मधुमेह आदि में प्रभावशाली परिणाम देती है.
यह एक प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली औषधि है, जो तनाव को कम करती है और याददाश्त व एकाग्रता बढ़ाती है.
गिलोय शरीर की प्रतिरक्षा को अत्यधिक मजबूत करती है, जिससे वायरल संक्रमण, डेंगू, टाइफाइड, खांसी-जुकाम व अपच जैसी समस्याओं से लड़ने की क्षमता बढ़ती है.
गिलोय प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बायोटिक, एंटी-वायरल, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-डायबेटिक, एंटी-एजिंग और एंटी-कैंसर गुणों से भरपूर होती है.
यह सभी उम्र के लोगों द्वारा सेवन की जा सकती है, लेकिन गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसका सेवन करें.
रातभर भिगोकर रखें, सुबह क्रश करके एक गिलास पानी में उबालें जब तक वह आधा न रह जाए, फिर छानकर पिएं.
1 चम्मच गिलोय पाउडर को गर्म पानी या शहद के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें.