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पुरुष हो या महिला, जब उम्र 30 साल के पार होती है तो हार्मोनल डिसबैलेंस होना कॉमन हो जाता है.
हार्मोनल डिसबैलेंस को नजरअंदाज करना मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए घातक हो सकता है.
इस उम्र में नींद नहीं पूरी होने की समस्या बहुत आती है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है.
इस उम्र में खाने-पीने का खास ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि इस वक्त बॉडी नई प्रोसेस से गुजरती है. जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
अगर पीरियड्स वक्त पर नहीं आ रहे हैं या फिर अचानक वजन बढ़ रहा है तो इसे हल्के में ना लें. यह हार्मोंस की गड़बड़ी हो सकती है. तुरंत जांच डॉक्टर के पास जाएं.
कैफीन और शराब का सेवन ना करें. इस स्टेज में शरीर कई सारी बीमारियां के निशाने पर होता है, जो आगे चल कर ब्लड शुगर या ब्लड प्रेशर का रूप ले सकता है.
कोशिश करें कि स्ट्रेस ना लें, क्योंकि इस उम्र में हॉर्मोंस डिसबैलेंस के कारण ओवर थिंकिंग होती है, जिससे शरीर में कई सारी दिक्कत आती है.
विटामिन D, B12, मैग्नीशियम और आयरन की कमी हॉर्मोन असंतुलन की एक बड़ी वजह है. ऐसे में डॉक्टर से सलाह लें.
हॉर्मोंस बदलाव के कारण मानसिक समस्या बढ़ जाती है. ऐसे में कोशिश करें कि हर बात पर खुद को गलत न ठहराएं और अपना कम्फर्ट चुनें.