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हर बात का जवाब देना समझदारी नहीं होती. कई बार चुप रहना कमजोरी नहीं, बल्कि खुद को और हालात को संभालने का सबसे समझदार तरीका होता है.
हर परिस्थिति में जवाब देना जरूरी नहीं होता, क्योंकि कई बार शब्द से ज्यादा चुप्पी की ताकत होती है.
चलिए जानते हैं कौन से हैं वो मौके जब चुप्पी साधने में ही समझदारी होती है.
जब गुस्से में कोई बात कहने से रिश्ते बिगड़ सकते हों, तब चुप रहना बेहतर होता है.
जब सामने वाला सुनने के मूड में ही न हो, तो बहस करने से कोई फायदा नहीं.
जब आपकी बातों को गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता हो, तो खामोशी ही सुरक्षा है.
जब हालात आपके कंट्रोल में न हों, तब शांत रहकर समय को काम करने देना समझदारी है.
जब आपकी चुप्पी आपकी गरिमा और आत्मसम्मान को बचा रही हो, तब बोलना जरूरी नहीं.
नोट- यहां बताई गई बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.