क्या सच में गुब्बारे की तरह फटते हैं बादल

आसमान से किसी एक जगह पर तेज बारिश हो जाने को ही बादल फटना कहते हैं. बादल फटने से उस इलाके में बाढ़ सी स्थिति बन जाती है.

कहीं भी बादल फटने की घटना उस समय होती है जब ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह रुक जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं.

इनके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और तेज बारिश होने लगती है. माना जाता है कि जहां बादल फटता है वहां 100 लोमीटर घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है.  

कहीं भी बादल फटने की घटना उस समय होती है जब ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह रुक जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं.

इनके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और तेज बारिश होने लगती है. पहले ऐसा माना जाता था कि बादल फटने की घटना सिर्फ पहाड़ों पर ही होती है.

कहा जाता है कि पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं और आगे नहीं बढ़ पाते हैं. फिर एक ही स्थान पर तेज गति से पानी गिरने लगता है.

लेकिन मुंबई में 26 जुलाई साल 2005 के बादल फटने की घटना ने इस धारणा को बदल कर रख दिया.