कहते हैं प्यार में पड़े इंसान को न तो भूख लगती है न प्यास. दिल दिन भर उससे बात करना चाहता है और बात न हो तो मन बेचैन हो जाता है.
प्यार में पड़ने वाले हर शख्स के साथ ऐसा ही होता है, लेकिन क्या आपने सोचा है जब आप प्यार में होते हैं तो इसका दिमाग पर क्या असर होता है.
प्यार एक तरह का नशा होता है. जब प्यार की बात आती है तो दिमाग कैसे बदलता है? आइए जानते हैं.
प्यार आपके दिमाग के उन हिस्सों को पूरी तरह से कंट्रोल कर लेता है जिनसे आप जरूरी फैसला लेते हैं.
जब आप प्यार में पड़ते हैं तो दिमाग में डोपामाइन, ऑक्सिटोसिन, ऐड्रनलिन और वैसोप्रेसिन जैसे कई केमिकल्स रिलीज होते हैं.
और फिर इन केमिकल्स के शरीर में रिलीज होते ही आप जिस व्यक्ति से प्यार करते हैं आपको उसकी लत लग जाती है.
प्यार में पड़ते ही ब्रेन रिवॉर्ड सिस्टम (Amygdala)का हिस्सा जो दिमाग के बीचों बीच होता है, सबसे पहले सक्रिय होता है.
भूख और सोचने समझने को नियंत्रित करने वाला हार्मोन सेरोटोनिन का स्तर गिर जाता है.
इससे पता चलता है कि प्यार के शुरुआती दौर में लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर क्यों जुनूनी हो जाते हैं.