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पंचांग के मुताबिक भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त दिन शुक्रवार को सुबह 11:55 बजे से लेकर अगले दिन 23 अगस्त दिन शनिवार को सुबह 11:35 बजे तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त को मनाई जाएगी.
भाद्रपद अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें. इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
फिर गायत्री मंत्र का पाठ करें. इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें.फिर पितरों का तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें.
भाद्रपद अमावस्या पर नदी के तट पर पिंडदान करना शुभ होता है. इस दिन बहते जल में तिल प्रवाहित करना शुभ होता है.
भाद्रपद के दिन दान करना, दक्षिणा देना और जरूरतमंदों को भोजन करवाने पर भी पितृ प्रसन्न होते हैं.
भाद्रपद के दिन देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है. भाद्रपद अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं.
भाद्रपद अमावस्या के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करके कमजोर चंद्रमा को बलवान किया जा सकता है. इस दिन पितरों का अपमान न करें. पितरों की नाराजगी से परिवार पर पितृ दोष लग जाता है.
पितृ दोष को दूर करने के लिए अमावस्या की शाम पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ होता है. भाद्रपद अमावस्या पर खीर बनाकर शिवजी को अर्पित करें. कुछ अंश पितरों के नाम से भी निकालें.
भोलेनाथ को अर्पित की हुई खीर निर्धनों में बांटें. पितरों की खीर किसी पशु को खिला दें. सफेद चंदन की लकड़ी नीले धागे में बांधकर पहन लें. पारिवारिक समस्या के लिए स्नान करके नारंगी वस्त्र धारण करें.