फ्लाइट में को-पायलट का क्या काम होता है?

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हाल ही में अहमदाबाद फ्लाइट क्रैश के बाद विमान पर काफी चर्चा हो रही है. फ्लाइट में दो पायलट होते हैं.

फ्लाइट में पायलट के साथ को-पायलट भी होता है. आखिर को-पायलट का क्या काम होता है? आइए इस बारे में जानते हैं.

फ्लाइट में को-पायलट को फर्स्ट ऑफिसर भी कहा जाता है. को-पायलट मेन पायलट यानी कैप्टन के साथ मिलकर फ्लाइट उड़ाते हैं.

को-पायलट अच्छी तरह से प्रशिक्षित होता है. ज़रूरत पड़ने पर को-पायलट विमान की पूरी कमान संभाल सकता है.

को-पायलट उड़ाने से पहले विमान की तकनीकी जांच करता है. इसके अलावा सहायक पायलट नेविगेशन सिस्टम और कम्युनिकेशंस इक्विपमेंट की जांच करता है.

फ्लाइट में को-पायलट मौसम रिपोर्ट और रूट की जानकारी भी लेता है. साथ में को-पायलट फ्यूल लेवल, वजन और बैलेंस को भी चेक करता है.

अगर पायलट किसी वजह से विमान नहीं उड़ा सकता है तो को-पायलट अच्छे से फ्लाइट उड़ा भी सकता है और लैंड भी करा सकता है.

अधिकतर फ्लाइट्स में कैप्टन और को-पायलट दोनों बारी-बारी से टेकऑफ और लैंडिंग करते हैं ताकि दोनों को अनुभव मिलता रहे.

को-पायलट बनने के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) और प्रशिक्षण अनिवार्य होता है. इसके लिए कम से कम 18 साल उम्र होनी चाहिए.

को-पायलट बनने के लिए कुल 200 घंटे की फ्लाइंग पूरी होनी चाहिए. 200 घंटे तक विमान उड़ाने की ट्रेनिंग के बाद ही को-पायलट बन सकते हैं.

नोट- यहां बताई गईं सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित है. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.