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हाल ही में अहमदाबाद में प्लेन क्रैश हो गया है. इस हादसे में प्लेन में सवार सिर्फ 1 व्यक्ति की जान बच पाई.
इस भयावह हादसे के बाद फ्लाइट की सेफ्टी पर सवाल खड़े हो रहे हैं. प्लेन का टायर कितने दिन में बदला जाता है? चलिए इस बारे में जानते हैं.
प्लेन का टायर रोज़ नहीं बदला जाता लेकिन इसकी नियमित जांच की जाती है. हर फ्लाइट के बाद इसकी विजुअल जांच की जाती है.
फ्लाइट के टायर बहुत जल्दी नहीं बदला जाती है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि प्लेन कितनी यात्राएं कर चुका है.
फ्लाइट का एक टायर लगभग 250 से 300 लैंडिंग तक चल सकता है. कुछ हाई-क्वालिटी टायर 500 लैंडिंग तक भी टिक जाते हैं.
जब प्लेन लैंड करता है तो टायर पर लगभग 200 KM/H की स्पीड से घिसता है. इससे हर बार थोड़ा टायर का रबर घिसता है.
टायर प्लेन का बेहद जरूरी हिस्सा होते हैं. टायर 200°C के तापमान में ज़्यादा गर्म हो सकते हैं. इसलिए केवल घिसाव नहीं, टायर के टेंपरेचर पर भी ध्यान दिया जाता है.
जब फ्लाइट की टायर की ग्रिप कम हो जाए तो उसे बदलना चाहिए. यदि उस पर कट, बुलबुले या ट्रेड वियर लिमिट आ जाए, तब भी बदला जाता है.
कुछ एयरलाइंस 150 लैंडिंग के बाद ही टायर बदल देती हैं तो कुछ को 300 लैंडिंग के बाद बदला जाता है.
प्लेन के टायर को दिनों में नहीं बल्कि लैंडिंग की संख्या में गिना जाता है. प्लेन के टायर में हवा नहीं, नाइट्रोजन गैस भरी जाती है. यह ज़्यादा सुरक्षित होती है.
नोट- यहां बताई गईं सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित है. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.