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पितृ पक्ष में जब हम अपने पूर्वजों (पितरों) को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं.
मान्यता है कि पितरों को जो अर्पण किया जाता है, वह आत्मा तक ऊर्जा रूप में पहुंचता है.
श्राद्ध काल में तामसिक और अशुद्ध वस्तुएं नहीं खानी चाहिए. अशुद्ध या तामसिक भोजन से आत्मा को कष्ट हो सकता है.
1. मांस-मछली और अंडा ये तामसिक भोजन माने जाते हैं जो शरीर में आलस्य, क्रोध और अशुद्धता बढ़ाते हैं.
2. लहसुन और प्याज श्राद्ध में शुद्ध सात्विक भोजन ही स्वीकार्य होता है, इसलिए इनका त्याग करना चाहिए.
3. अल्कोहल और धूम्रपान पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते समय संयम और शुद्धता जरूरी है.
4. पितृ पक्ष में नया काम शुरू नहीं करना चाहिए.
इस दौरान किया गया तर्पण, श्राद्ध और दान पितरों की आत्मा को तृप्त करता है और घर-परिवार में सुख-शांति लाता है.