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एशिया, अफ्रीका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया सहित कई महाद्वीपों पर चंद्र ग्रहण देखा गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कैसे लगता है?
दरअसल चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूरज और चांद के बीच आ जाती है.
इस हालत में सूरज की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. यही घटना हमें चंद्र ग्रहण के रूप में दिखाई देती है.
चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है. कारण यह है कि पूर्णिमा पर चंद्रमा सूर्य के ठीक सामने (पृथ्वी के दूसरी ओर) होता है. लेकिन हर पूर्णिमा पर ग्रहण नहीं लगता.
इसकी वजह यह है कि चंद्रमा की परिक्रमा कक्षा पृथ्वी की कक्षा (जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं) से लगभग 5 डिग्री झुकी हुई है.
इसी कारण चंद्रमा अक्सर पृथ्वी की छाया से थोड़ा ऊपर या नीचे निकल जाता है.
ग्रहण तभी लगता है जब पूर्णिमा के समय सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा लगभग एक सीधी रेखा में आ जाएं और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करे.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण का हमारे स्वास्थ्य या जीवन पर कोई प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता.
इतना जरूर है कि इसके दौरान चांद की चमक कम होने से पर्यावरण पर हल्का असर दिखता है.