शादी में ले रहे हैं दहेज तो हो जाइए सावधान, जानें क्या कहता है कानून

भारत में महिलाओं ने शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है, लेकिन शादियों में दहेज की समस्या बनी हुई है.

पिछले दशकों में लगातार नए बने नए कानूनों के बावजूद इसके रोकने में कोई कामयाबी नहीं मिली है. भारत में इस प्रथा को खत्म करने के लिए कई तरह के कानून बनाए गए हैं.

इसके तहत दहेज निषेध अधिनियम या डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट शामिल है. इस कानून के तहत दहेज उत्पीड़न मामलों को खत्म करने की कोशिश की जाती है.

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 (Dowry Prohibition Act, 1961) को दहेज प्रथा को रोकने और खत्म करने के लिए लाया गया था.

इसके तहत 2 सेक्शन हैं, जिसमें सेक्शन 3 और 4 आते हैं. इसमें सेक्शन 3 के अंतर्गत दहेज लेना या देना दोनों अपराध माना गया है.

ऐसा करने पर अपराधी को 15 हजार रुपए के जुर्माने के साथ 5 साल तक की सजा सुनाई जा सकती है.

जबकि सेक्शन 4 कहता है कि दहेज की मांग करने पर 6 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है.

Domestic Violence Act के तहत भी महिलाएं दहेज खिलाफ अपनी आवाज उठा सकती हैं. इसके तहत किसी भी तरह के प्रताड़ना होने पर यह कानून मदद करता है. 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2020 में दहेज के कारण करीब 7,000 हत्याएं हुईं.

यानी करीब 19 महिलाएं हर रोज दहेज की वजह मारी गईं. इसके अलावा 1,700 से ज्यादा महिलाओं ने दहेज से जुड़े कारणों की वजह से आत्महत्या कर ली.