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भगवान जगन्नाथ के धाम पुरी में हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है. इस साल ये रथ यात्रा 27 जून को निकाली जाएगी.
पुरी में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है? आइए इस बारे में जानते हैं.
जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की सालाना सैर है. इसमें तीनों को भव्य रथों में बैठाकर पुरी शहर में यात्रा कराई जाती है.
मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ हर साल अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं. यह रथ यात्रा उसी प्रेम और रिश्ते का प्रतीक है.
जगन्नाथ रथ यात्रा की परंपरा हजारों साल पुरानी मानी जाती है. इसे दुनिया की सबसे प्राचीन और विशाल धार्मिक यात्राओं में गिना जाता है.
यह यात्रा ओडिशा के पुरी शहर में होती है, जो जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है, लगभग 3 किलोमीटर का रास्ता है.
भगवान के तीनों रथ विशाल लकड़ी के बने होते हैं और लाखों श्रद्धालु इन्हें खींचते हैं. माना जाता है कि रथ की रस्सी को खींचने से पुण्य मिलता है.
जगन्नाथ रथ यात्रा सबसे पवित्र यात्रा में गिनी जाती है. इस दिन पुरी में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं. भक्त रथों के आगे झाड़ू लगाकर सेवा भी करते हैं.
यह यात्रा साल के जून-जुलाई महीने में होती है. चाहे बारिश हो या धूप, यात्रा हर हाल में निकलती है.
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बताती है कि भगवान अपने भक्तों से मिलने खुद बाहर निकलते हैं. यह विनम्रता, सेवा और प्रेम का प्रतीक है.
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