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हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है. इस साल 12 अगस्त को कजरी तीज है. इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है.
कजरी तीज के दिन जहां सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं, वहीं कुंआरी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं.
कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता की आराधना भी की जाती है. करवा चौथ की तरह कजरी तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोल जाता है.
कजरी तीज के दिन ब्रह्म मुहूर्त स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद विधि-विधान से कजरी तीज व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए.
कजरी तीज के दिन मंत्रोचारण के साथ सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करनी चाहिए.
कजरी तीज के दिन एक चौकी पर मां पार्वती और शिवजी की तस्वीर या मूर्ति रख पूजा करें. पूजा के दौरान माता पार्वती को शृंगार की सामग्री विशेष रूप से चढ़ाएं.
कजरी तीज की कथा पढ़ें या फिर किसी के द्वारा कहे जाने पर सुनें. इसके बाद तालाब में कच्चा दूध और जल डालें और किनारे एक दीया जलाकर रखें.
कजरी तीज का व्रत रात को चंद्र देवता का दर्शन और उन्हें अर्घ्य देकर ही खोलें.कजरी तीज के दिन महिलाओं को हरे रंग के वस्त्र एवं 16 शृंगार को धारण करना चाहिए.
कजरी तीज के दिन न तो बाल धोएं और न ही कटवाएं. कजरी तीज पर झूला झूलने की भी परंपरा है.