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कांवड़ यात्रा में पवित्रता सबसे महत्वपूर्ण है; कांवड़ को जमीन पर रखना वर्जित है.
भक्तों को मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज करना चाहिए.
यात्रा के दौरान साफ-सुथरे कपड़े पहनें और रोजाना स्नान अनिवार्य है.
कांवड़ में गंगा जल लेते समय नदी में स्नान कर मन को शुद्ध करें.
भगवान शिव का ध्यान और भक्ति भजनों का गायन यात्रा को और पवित्र बनाता है.
यात्रा के दौरान क्रोध, झूठ और बुरे विचारों से बचना जरूरी है.
कांवड़ को कंधे पर ले जाना चाहिए; किसी और को सौंपना अशुभ माना जाता है.
शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले मंदिर के नियमों का पालन करें.
यात्रा में शामिल भक्तों को दूसरों के साथ सम्मान और सहयोग का व्यवहार करना चाहिए.
बिना श्रद्धा और नियमों के कांवड़ यात्रा अधूरी है; मन से भक्ति करें.