जनिए भारत में कैसे तय होता है ट्रेनों का नाम

भारतीय रेलवे के पास 22,593 रेलगाड़ियां हैं. इनमें से 9,141 मालगाड़ी और 13,452 पैसेंजर ट्रेन हैं. मालगाड़ी से करीब 203.88 मिलियन टन सामान रोजाना एक से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है.

वहीं, पैसेंजर ट्रेन से करीब ढाई करोड़ लोग रोजाना सफर करते हैं. भारतीय रेलवे ट्रेन के जरिए पूरे देश को जोड़ता है.

इसके लिए अलग-अलग नामों वाली ट्रेनी चलाई गई हैं, लेकिन कई ट्रेन ऐसी हैं जो एक ही नाम वाली हैं, जैसे- राजधानी एक्सप्रेस. जो राष्ट्रीय राजधानी को अलग-अलग राज्यों से जोड़ती है.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ट्रेनों का नामकरण किस आधार पर किया गया है. आइए जानें.

ट्रेनों का नाम ट्रेनें जहां से शुरू होती हैं और जहां तक जाती हैं उन जगहों के नाम पर भी रखा जाता है, जैसे कोटा पटना एक्सप्रेस और चेन्नई-जयपुर एक्सप्रेस.

इसके अलावा लोकेशन यानी किसी धार्मिक महत्व की जगह के नाम पर भी इनका नाम रखा जाता है, जैसे वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस और काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस.

बिहार का वैशाली भगवान बुद्ध से जुड़ा हुआ है और काशी बाबा भोलेनाथ की नगरी है. खास जगह पर स्थित धरोहर के नाम पर भी ट्रेनों का नाम रखा जाता है.

ट्रेनों का नाम राजधानियों के नाम पर भी रखा जाता है जैसे राजधानी एक्सप्रेस जो राजधानियों के बीच चलती है. यह भारत की सबसे अच्छी ट्रेन मानी जाती है.

गति और सुविधाओं के लिहाज से यह काफी अच्छी है. इसकी स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा है. शताब्दी एक्सप्रेस भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के 100वें जन्मदिन पर 1989 में शुरू हुई थी.

100 साल के समय को शताब्दी या एक सदी कहा जाता है इसलिए इस ट्रेन का नाम शताब्दी है. इस ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा है.