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नवरात्रि में महाष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का विधान है. इस साल शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी 30 सितंबर और नवमी 1 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी.
महाष्टमी और नवमी को 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है. एक छोटे बालक को भैरवनाथ का स्वरूप मानकर पूजा जाता है.
नवरात्रि पर कन्या पूजन के एक दिन पहले सभी कन्याओं को घर आने के लिए आमंत्रित करें. नौ से अधिक कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ होता है.
कन्या पूजन के लिए हलवा और पूड़ी का प्रसाद तैयार करें. कन्याएं और बटुक (छोटे लड़के) घर आ जाएं तो उनका जल से पैरे धोएं और उनके चरण स्पर्श करें.
कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाएं. फिर उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं. इसके बाद कन्याओं और लड़के की कलाइयों पर मौली बांधें.
मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. अंत में उन्हें गिफ्ट्स दें. उनके पैर छुएं और उन्हें उनके घर भेजने जाएं.
कन्या पूजन से घर में लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है. सभी प्रकार के संकट और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
कन्या पूजन से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है. नवरात्रि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
महाष्टमी और नवमी को कन्या पूजन करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है. घर में सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है.