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सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. निर्जला एकादशी बेहद खास है.
इस बार निर्जला एकादशी पर विशेष संयोग बन रहा है. इसमें हस्त नक्षत्र के साथ व्यातीपात, वरियान और सर्वार्थ सिद्धि योग है, जो इस दिन को और भी खास बना रहा है.
निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी जरूरी है. इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है.
यह व्रत मन को संयम सिखाता है. शरीर को नई ऊर्जा देता है. यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकती हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी जैसे पवित्र दिन पर बाल या नाखून काटना वर्जित माना गया है.
माना जाता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु रुष्ट हो सकते हैं. इससे जीवन में धन, बुद्धि व ज्ञान की हानि हो सकती है.
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि के बाद व्रत संकल्प लें.
पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए, क्योंकि पीला रंग भगवान श्रीहरि को प्रिय माना जाता है.
भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें. इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है.