राखी की अजब-गजब परंपरा! रक्षाबंधन के अनोखे रीति-रिवाज

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रक्षाबंधन का त्‍योहार सिर्फ राखी बांधने तक सीमित नहीं है. देश के अलग-अलग राज्‍यों में यह त्‍योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है.

महाराष्‍ट्र में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन के साथ-साथ नाराली पूर्णिमा भी मनाई जाती है. यहां की प्रमुख फसल नारियल होने की वजह से समुद्र में नारियल प्रवाहित करके यह त्‍योहार मनाया जाता है.

राजस्‍थान में रक्षाबंधन को लुंबा राखी के नाम से मनाया जाता है. यहां बहनें भाई के साथ-साथ भाई की पत्‍नी यानी कि भाभी की कलाई पर भी राखी बांधती हैं. इसे यहां लुंबा राखी कहा जाता है.

गुजरात में इस त्‍योहार का स्‍वरूप पवित्रोपना होता है. श्रावण मास की पूर्णिमा पर यहां शिवजी की धूमधाम से पूजा की जाती है.

बिहार और मध्‍य प्रदेश- दोनों राज्‍यों रक्षाबंधन पर राखी बांधने के साथ-साथ कजरी पूर्णिमा भी मनाई जाती है. सावन की पूर्णिमा को कजरी पूर्णिमा कहते हैं.

पश्चिम बंगाल में यह त्‍योहार सावन मास शुक्‍ल एकादशी से शुरू होता है और रक्षाबंधन इसका आखिरी दिन होता है. इसे यहां झूलन पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है क्‍योंकि यहां पर राधा और कृष्‍ण को इस पर्व पर झूला झुलाने की परंपरा है.

उत्‍तराखंड में कुमाऊ मंडल के लोग रक्षाबंधन के पर्व पर जनेऊ पूर्णिमा भी मनाते हैं. उत्‍तराखंड के लोगों के बीच यह त्‍योहार जनेऊ पूर्णिमा के नाम से भी प्रचलित है.

उड़ीसा में रक्षाबंधन एकदम अलग तरीके से मनाया जाता है. यहां पर यह त्योहार भाई-बहनों का नहीं बल्कि गाय-बैलों को सजाकर मनाया जाता है. यहां गाय और बैलों की इस दिन पूजा की जाती है.