भारत की खुफिया एजेंसी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. लेकिन ये वो एजेंसी है जो पर्दे के पीछे रहकर देश की रक्षा करती है.
अब आईपीएस अधिकारी रवि सिन्हा को भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का चीफ बनाया गया है.
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) को देश के अंतरराष्ट्रीय खुफिया मामलों को संभालने के लिए 1968 में स्थापित किया गया था.
1968 तक, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) भारत की आंतरिक खुफिया जानकारी के लिए जिम्मेदार था, साथ ही बाहरी खुफिया जानकारी भी संभालता था.
लेकिन 1962 के चीन-भारत युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, भारत ने एक अलग बाहरी खुफिया संगठन बनाया.
1968 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर एन काव को रॉ के पहले डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया.
250 कर्मचारियों और 405,600 डॉलर के बजट के साथ शुरू हुए रॉ ने कई मिशन पूरे किए.
शुरुआत में रॉ ने पड़ोसी देशों, चीन और पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक गतिविधियों के बारे में इन्फोर्मेशन देना शुरू किया.
पाकिस्तान में मिलिट्री की सप्लाई और उसके कंट्रोल को लेकर भी एक मिशन रॉ ने पूरा किया था.
आर.एन, काव की लीडरशिप में रॉ ने कई सफल ऑपरेशन किए. जिसमें 1971 में बांग्लादेश का निर्माण, 1971 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की हार, 1975 में सिक्किम का विलय शामिल है.
खुफिया एजेंसी रॉ जैसे-जैसे सफल ऑपरेशन करती गई वैसे-वैसे लोगों में इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई.
1970 के दशक के मध्य तक रॉ का बजट बढ़कर 6.1 मिलियन डॉलर हो गया और इसके कर्मचारियों की संख्या बढ़कर कई हजार हो गई.
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) अलग-अलग तरह के ऑपरेशन की मदद से सैन्य, आर्थिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करता है.