हनुमान चालीसा पढ़ते समय इन नियमों का रखें ध्यान 

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राम भक्त हनुमान को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है और वे बहुत ही जल्दी आपकी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं. 

हनुमान जी को प्रसन्न करने करने के लिए आप हर दिन हनुमान चालीसा पढ़ें, मंगलवार को व्रत रखें या फिर राम जाप भी कर सकते हैं.

हनुमान चालीसा को तुलसीदास जी ने लिखा था. इसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है. बताया गया है कि कैसे हनुमान जी महान भक्त थे. 

आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे नियमों के बारे में जिनका पालन आपको हनुमान चालीसा पढ़ते समय करना चाहिए. नियमानुसार हनुमान चालीसा पढ़ने से आप पर भगवान की कृपा बरसती रहेगी. 

सबसे पहला नियम है- ध्यान मुद्रा में बैठकर शुरुआत करना है. अपने पैरों को क्रॉस करके बैठें, आपके हाथ आपके सामने हों, आपकी रीढ़ सीधी हो और आपके दिमाग में भगवान हनुमान की छवि हो. 

चौपाई के आरंभ से पहले एक दोहा और फिर अंत में एक दोहा होता है. प्रारंभ वाला कहता है 'श्री गुरु चरण सरोज रज..' और अंत वाला कहता है 'पवन तनय संकट हरण..', चालीसा के इन दो दोहों का पाठ करना कभी न छोड़ें. ये दो दोहे भगवान हनुमान की शक्ति और आशीर्वाद का आह्वान करते हैं और इसलिए इन्हें कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए.

लोग मन ही मन हनुमान चालीसा या कोई अन्य श्लोक या मंत्र का जाप करना पसंद करते हैं. और जहां मन को एकाग्र रखने की बात आती है तो मौन पाठ अच्छा होता है, लेकिन हनुमान चालीसा का आंतरिक पाठ नहीं करना चाहिए. जैसा कि चालीसा में बताया गया है, यह एक 'पाठ' है, और पाठ को उससे निकलने वाले कंपन और ऊर्जा को महसूस करते हुए जोर से पढ़ना चाहिए. 

वैसे तो भागदौड़ भरी जिंदगी में एक-दो बार ही लोग हनुमान चालीसा का जाप कर पाते हैं. लेकिन जब भी समय हो तो यह पाठ ज्यादा बार करना चाहिए. जैसा कि चालीसा में कहा गया है 'जो शत बार पाठ करे कोई, छुटहि बंधि महासुख होई' अर्थात जो व्यक्ति हनुमान चालीसा का 100 बार जाप करेगा उसे सभी बंधनों और समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा और उसे अपार सुख की प्राप्ति होगी. 

चालीसा का पाठ करते समय तुलसीदास जी का नाम हटाकर अपना नाम रखना चाहिए. जिस चौपाई में 'तुलसीदास सदा हरि चेरा' कहा गया है, उसे जाप करने वाले के नाम से बदल देना चाहिए.