बिंदी लगाने की परंपरा के पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण 

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भारतीय महिलाओं के शृंगार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली बिंदी सिर्फ सौंदर्य बढाने का माध्यम नहीं है बल्कि यह एक ऐसी परंपरा है जिसमें गहरा वैज्ञानिक रहस्य छिपा है. 

माथे पर लगाई जाने वाली छोटी-सी बिंदी हमारे शरीर की ऊर्जा, एकाग्रता और मानसिक शांति से जुडी होती है.

बिंदी जिस स्थान पर लगाई जाती है उसे "अजना चक्र" या तीसरी आंख का स्थान माना जाता है यह जगह मानसिक एकाग्रता और अंतर्ज्ञान से जुड़ी होती है.

माथे पर  नियमित दबाव पड़ने से तनाव कम होता है और मस्तिष्क शांत रहता है.

माथे पर बिंदी लगाने से माथे पर सकारात्मक पड़ता है जिससे सिरदर्द थकान और अनिद्रा जैसी समस्याएं कम होती है.

बिंदी लगाने से ऊर्जा केंद्र सक्रिय रहता हैं जो शरीर की ऊर्जा को बाहर निकालने से रोकता है जिससे शरीर में  सकारात्मकता बनी रहती है. 

बिंदी लगने से पिट्यूटरी ग्रंथि पर हल्का दबाव पड़ता है जिससे शरीर में हार्मोनल संतुलन रहता है जिससे ग्रंथि की गतिविधिया संतुलित होती हैं.

बिंदी लगाने से भौहों के बीच की बिंदु पर दबाव पड़ता है, जिससे सिरदर्द में राहत मिलती है.