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हमारे समाज में सिर्फ बेटियां ही नहीं बल्कि बेटों की परवरिश एक बहुत ज़िम्मेदारी वाला काम है.
समाज की सोच, पारिवारिक मूल्य, और आने वाली पीढ़ियों की दिशा- सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि हम अपने बेटों को कैसे पालते हैं.
बेटों की परवरिश करते समय कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे वे न सिर्फ एक अच्छे इंसान बनें, बल्कि समाज के लिए जिम्मेदार नागरिक भी बनें.
बेटों को शुरू से ही यह सिखाएं कि हर व्यक्ति, चाहे वह महिला हो या पुरुष, बड़ा हो या छोटा, सम्मान के योग्य है. यह सिर्फ घर में नहीं, बल्कि बाहर भी लागू होता है.
समाज अक्सर लड़कों से "मजबूत" बने रहने की उम्मीद करता है, जिससे वे अपनी भावनाएं दबाते हैं. उन्हें बताएं कि रोना, डरना, या दुख व्यक्त करना कमजोरी नहीं है, बल्कि इंसानियत है.
बेटों को भी खाना बनाना, सफाई करना, कपड़े धोना जैसे कामों में शामिल करें. इससे वे आत्मनिर्भर बनते हैं और यह समझते हैं कि घर चलाना सिर्फ महिलाओं की ज़िम्मेदारी नहीं है.
उन्हें छोटी उम्र से ही यह सिखाएं कि हर काम के साथ जिम्मेदारी आती है. चाहे वो पढ़ाई हो, कोई गलती करना, या घर का कोई छोटा काम.
उन्हें यह समझाएं कि लड़कियां और लड़के दोनों बराबर हैं- शिक्षा, करियर, फैसले लेने और अपने जीवन को जीने के अधिकार में.
यह समझाना बहुत ज़रूरी है कि जब कोई 'ना' कहे, तो उसे समझें और उसका आदर करें- फिर चाहे वह दोस्त हो, बहन हो, या कोई भी और महिला.
उन्हें यह बताएं कि ताकत सिर्फ शारीरिक नहीं होती, बल्कि सहानुभूति, समझदारी और ईमानदारी भी ताकत है. उन्हें "मर्द बनो" जैसे जहरीले जुमलों से दूर रखें.