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बृहस्पति किसी महिला के विवाह का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है. बिना बृहस्पति के किसी महिला का विवाह हो ही नहीं सकता.
बृहस्पति किसी पुरुष के जीवन में उसके जीवनसाथी के बारे में बताता है. बृहस्पति ही पुरुष के वैवाहिक जीवन को संतुलित करता है.
अगर बृहस्पति विवाह में बाधा दे तो विवाह का होना और निभाना दोनों चुनौती हो जाता है. बृहस्पति की कुछ स्थितियां व्यक्ति के विवाह के लिए काफी समस्याएं पैदा करती है.
इससे बचने के लिए नित्य प्रातः स्नान और उपासना जरूर करें. चन्दन की सुगंध का नियमित प्रयोग करें. तर्जनी अंगुली में सोने या पीतल का छल्ला धारण करें.
एक हल्दी की गांठ पीले धागे में गले में धारण करें. नीलम या शनि का रत्न बिल्कुल धारण न करें.
विवाह में बृहस्पति की दूसरी स्थिति गुरु चांडाल योग बाधा पैदा करती है. इसके लिए नित्य प्रातः सूर्य को हल्दी मिलाकर जल अर्पित करें.
गायत्री मंत्र का जप अवश्य करें. मांस मदिरा आदि का सेवन न करें. सलाह लेकर एक पन्ना या मोती धारण करें. दाढ़ी और बाल बड़े न रखें.
सप्तम स्थान का बृहस्पति विवाह के लिए काफी ख़राब होता है. विवाह होने में विलंब होता है. इसके लिए देर रात तक जागने से बचें.
माथे पर या कंठ पर तिलक जरूर लगाएं. गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ जरूर करें. भूलकर भी पीला पुखराज न पहनें. एक ओपल अवश्य धारण कर लें.