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आज हम रोज़ाना टूथब्रश से दांत साफ़ करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी खोज कब और कैसे हुई? आइए इस बारे में जानते हैं.
दांत साफ़ करने की परंपरा हजारों साल पुरानी है. प्राचीन काल में लोग दांत साफ करने के लिए लकड़ी, नीम की डंडी और हर्ब्स का इस्तेमाल करते थे.
3000 ईसा पूर्व मिस्र और बाबिलोन में लोग दांत साफ करने के लिए 'च्यू स्टिक' का इस्तेमाल करते थे. ये छोटी-छोटी डंडियां होती थीं जिनका सिरा चबाकर ब्रश जैसा बना लेते थे.
भारत और चीन में नीम और मिस्वाक की डंडी से दांत साफ़ करने का चलन था. ये परंपरा आज भी कई जगह जारी है.
पहला मॉडर्न टूथब्रश चीन में लगभग 1498 ईस्वी में बना. इसमें बांस का हैंडल और सूअर के बालों के रेशे लगे होते थे.
यह ब्रश यूरोप पहुंचा तो वहां लोगों ने घोड़े और बैजर के बालों का इस्तेमाल किया लेकिन ये ब्रश बहुत सख्त होते थे.
1780 में इंग्लैंड के विलियम एडिस ने पहला मास प्रोड्यूस्ड टूथब्रश बनाया. इसका हैंडल हड्डी से और बाल सूअर के ब्रिसल्स से बने थे.
19वीं सदी में नायलॉन की खोज हुई. 1938 में ड्यूपॉन्ट कंपनी ने पहला नायलॉन ब्रिसल वाला टूथब्रश बनाया.
यह टूथब्रश हल्का, मुलायम और टिकाऊ था. यहीं से टूथब्रश आम लोगों के लिए सुविधाजनक हो गया.
1954 में स्विट्ज़रलैंड में पहला इलेक्ट्रिक टूथब्रश आया. इससे दांतों की सफाई और आसान हो गई.
नोट- यहां बताई गईं सभी जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित है. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.