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सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए वट पूर्णिमा का व्रत रखती हैं. इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 10 जून 2025 को रखा जाएगा.
ज्येष्ठ पूर्णिमा वाले वट सावित्री व्रत को ही वट पूर्णिमा व्रत कहा जाता है. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ को पंखा झलती हैं और इसकी परिक्रमा कर पूजा करती हैं.
वट पूर्णिमा व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने के बाद व्रत का संकल्प लें.
सुहागिन महिलाएं वट पूर्णिमा के दिन पीले और लाल रंग के वस्त्र धारण करें. सोलह शृंगार जरूर करें.
वट पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर सुहाग की सामग्री लेकर पूजा की एक थाली सजाएं.
वट वृक्ष के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद बरगद के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं.
फिर फूल-धूप और मिठाई से वट वृक्ष की पूजा करें. इसके बाद कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करें.
कच्चा सूत को वट वृक्ष के तने पर सात बार लपेटते हुए परिक्रमा करें. हाथ में भीगा चना लेकर सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें.
फिर भीगा चना, कुछ धन और वस्त्र सास को देकर उनका आशीर्वाद लें. वट पूर्णिमा के दूसरे दिन वट वृक्ष की कोंपल खाकर उपवास समाप्त करें.