पंचायत में सचिव जी का रोल करने वाले जितेंद्र कुमार का रोल उनकी पर्सनल लाइफ से काफी हद तक जुड़ा हुआ है. चलिए बताते हैं कैसे.
दोनों ही इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं. जितेंद्र ने IIT खड़गपुर से सिविल इंजीनियरिंग की है. जबकि पंचायत में अभिषेक त्रिपाठी भी एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है.
जितेंद्र कुमार के वास्तविक जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष उनके करियर की अनिश्चितता में दिखता है. उन्होंने 8 महीने तक एक जापानी कंपनी में काम किया, लेकिन उनका मन नहीं लगा.
यह स्थिति पंचायत के सचिव जी के जीवन से बिलकुल मेल खाती है, जो CAT की तैयारी करके MBA करना चाहते हैं और फुलेरा गांव से दूर जाना चाहते हैं.
जितेंद्र कुमार मानते हैं कि वे "हर नए प्रोजेक्ट की शुरुआत में घबरा जाते हैं". यह बात सचिव जी के किरदार में भी दिखती है, जो हमेशा अपनी परिस्थितियों को लेकर चिंतित रहते हैं.
जितेंद्र कुमार की सादगी भरी जीवनशैली उनके सचिव जी के किरदार में पूर्ण रूप से दिखती है. वे मिनिमलिज्म में विश्वास रखते हैं.
जितेंद्र कुमार का राजस्थान के खैरथल गांव से ताल्लुक है, जो उन्हें ग्रामीण जीवन की बारीकियों को समझने में मदद करता है. सचिव जी भी गांव की परेशानियां ही हल करते रहते हैं.
जितेंद्र कुमार के माता-पिता शुरुआत में उनके एक्टिंग करियर को समझ नहीं पाए थे. वैसे ही जैसे सचिव जी को भी अपने परिवार और समाज से अपेक्षाओं का दबाव झेलना पड़ता है.