एरोप्लेन का रंग सफेद क्यों होता है?

(Photos Credit:  Getty)

बहुत सारे लोग अक्सर फ्लाइट से सफर करते हैं. जो सफर नहीं करते, उन्होंने फिल्मों में एरोप्लेन जरूर देखे होंगे.

आपने कभी गौर किया है कि ज्यादातर हवाई जहाज सफेद होते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है? आइए इस बारे में जानते हैं.

एरोप्लेन के सफेद रंग होने के पीछे सिर्फ डिज़ाइन नहीं है. इसके पीछे कई वैज्ञानिक और प्रैक्टिकल वजहें भी हैं.

सफेद रंग सूरज की गर्मी को कम सोखता है. इससे प्लेन का टेम्परेचर कंट्रोल में रहता है. यात्रियों को उड़ान के दौरान आराम मिलता है.

सफेद रंग से फ्यूल एफिशिएंसी भी बनी रहती है. कम गर्म होने पर एयर कंडीशनिंग पर ज़्यादा दबाव नहीं पड़ता. इससे एयरलाइंस का खर्च घटता है.

सफेद पेंट से क्रैक और डेंट आसानी से दिखाई देते हैं. इससे टेक्निकल टीम तुरंत खराबी पकड़ लेती है. यानी सेफ्टी के लिहाज से भी सफेद रंग बेहतर है.

सफेद रंग का वज़न हल्का होता है. कलर्ड पेंट ज्यादा लेयर और वज़न बढ़ाता है. प्लेन जितना हल्का होगा, फ्यूल उतना कम लगेगा.

सफेद रंग सूरज की किरणों से प्लेन के पार्ट्स को बचाता है. रंगीन पेंट जल्दी फीका और खराब हो जाता है. इससे मेंटेनेंस कोस्ट भी बढ़ जाती है.

रात में सफेद प्लेन ज्यादा आसानी से दिखाई देते हैं. इससे हवाई यातायात सुरक्षित रहता है. दूसरे विमान भी इसे जल्दी पहचान लेते हैं.

नोट- यहां बताई गईं सभी जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित है. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.