मान्यता है कि सती सावित्री ने इसी व्रत को करके यमराज से अपने पति का जीवन वापस पाया था.
वट सावित्री का व्रत करने से स्त्रियों का अखंड सुहाग का वरदान मिलता है.
माना जाता है कि बरगद के वृक्ष में कई देवी-देवताओं का वास होता है. इसलिए इसकी पूजा की जाती है.
इस व्रत को कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं और वट यानी बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं.
व्रत सावित्री के व्रत पर सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान यमराज को पूजती है.
इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए और पुत्र संपत्ति की रक्षा के लिए यह व्रत करती है.
हिंदू परंपरा में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं.
वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है.