सफेद रंग का ही क्यों होता है एयरप्लेन?

(Photos Credit: Pixabay)

दुनियाभर में हज़ारों एयरप्लेन उड़ते हैं लेकिन सभी सफेद रंग के ही होते हैं. क्या आप जानते हैं कि इसके लिए कोई और रंग क्यों नहीं चुना जाता?

एयरप्लेन ज़्यादातर सफेद रंग के होने के पीछे कई वैज्ञानिक, व्यावहारिक और आर्थिक कारण होते हैं.

1. हीट रिफ्लेक्शन : सफेद रंग सूरज की धूप को रिफ्लेक्ट करता है जबकि काले या गहरे रंग उसे सोखते हैं. हवाई जहाज़ ज़्यादातर समय खुले आसमान में उड़ते हैं जहाँ तेज़ धूप पड़ती है.

सफेद रंग से जहाज़ कम गर्म होता है, अंदर का तापमान नियंत्रित रहता है. और एयर कंडीशनिंग पर भी कम बोझ पड़ता है.

2. रखरखाव आसान होता है : सफेद रंग पर दरारें, तेल लीक या डेंट आसानी से दिख जाते हैं. इससे रखरखाव टीम को समस्या जल्दी पकड़ने में मदद मिलती है.

3. रंग करने में सस्ता : सफेद रंग का पेंट सस्ता होता है. गहरे रंग लगाने में ज़्यादा लेयरिंग, ज़्यादा पेंट और ज़्यादा वक़्त लगता है. वजन भी थोड़ा बढ़ता है, जिससे ईंधन खपत बढ़ सकती है. 

4. रीसेल वैल्यू बेहतर होती है : एयरलाइंस अक्सर पुराने जहाज़ बेच देती हैं. सफेद जहाज़ को नए मालिक अपनी पहचान के हिसाब से आसानी से रंग सकते हैं. 

अगर एयरप्लेन गहरे रंग के हों तो उनका रंग बदलना और नए कलेवर में ढालना ज्यादा महंगा पड़ता. 

5. आसमान में और ज़मीन पर दिखाई देना आसान : सफेद रंग साफ तौर से दिखता है, चाहे बादलों के बीच हो या रनवे पर. इससे एयर ट्रैफिक कंट्रोल में आसानी होती है. 

5. आसमान में और ज़मीन पर दिखाई देना आसान : सफेद रंग साफ तौर से दिखता है, चाहे बादलों के बीच हो या रनवे पर. इससे एयर ट्रैफिक कंट्रोल में आसानी होती है. 

एक खास बात यहां यह है कि ज्यादातर एयरलाइंस अपने ब्रांडिंग के लिए प्लेन पर रंगीन डिज़ाइन भी कराती हैं, लेकिन उनका बेस कलर सफेद ही रहता है.