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फैशन एक समाज का दर्पण होता है. संस्कृति का सूचक होता है. नित बदलता रहता है.
भारत में लोग कभी धोती, साड़ी और कुर्ता पजामा पहनते थे. लेकिन अब जीन्स वेशभूषा का आम हिस्सा बन गया है.
देखा जाए तो जीन्स कम से कम 200 सालों से लोगों की वेशभूषा का हिस्सा है. लेकिन इसमें एक चीज़ नहीं बदली है.
जीन्स में बाईं ओर ऊपर वाली जेब के अंदर जो छोटी सी जेब होती है, वह अब भी बरकरार है. लेकिन इसका मकसद क्या है?
दरअसल जीन्स में वो छोटी वाली पॉकेट, जिसे अक्सर "कॉइन पॉकेट" या "वॉच पॉकेट" कहते हैं, पुराने ज़माने की देन है.
जब 1800s में लेवाइस (Levi's) ने जीन्स बनाई थी, तब लोग जेब घड़ी (pocket watch) इस्तेमाल करते थे.
ये छोटी पॉकेट उसी घड़ी को रखने के लिए डिज़ाइन की गई थी, ताकि वो सुरक्षित रहे और आसानी से निकाली जा सके.
बाद में, जब जेब घड़ियाँ कम होने लगीं, तो इस पॉकेट का इस्तेमाल छोटी-मोटी चीज़ें जैसे सिक्के, चाबी, या माचिस रखने के लिए होने लगा.
आजकल तो ये ज़्यादातर स्टाइल का हिस्सा बन गई है क्योंकि जीन्स की क्लासिक लुक में ये छोटी पॉकेट अब भी वैसी ही रखी जाती है.
रखने को तो लोग अब भी इसमें कोई छोटी-मोटी चीज़ रख सकते हैं, लेकिन अब इसका कोई प्रैक्टिकल यूज़ नहीं रह गया है.