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मंगल ग्रह हमेशा वैज्ञानिकों के लिए एक खोज का विषय रहा है. ये ग्रह धरती से काफी दूर है. मंगल ग्रह पर पानी भी है.
मंगल को लाल ग्रह या रेड प्लानेट भी कहा जाता है. आखिर इसे लाल ग्रह क्यों कहते हैं? आइए इस बार में जानते हैं.
मंगल ग्रह सूर्य से दूरी के हिसाब से यह चौथे नंबर पर आता है. ये धऱती से 22.5 करोड़ किमी. दूर है. हालांकि, ये दूरी हमेशा एक जैसी नहीं रहती है.
सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी Olympus Mons मंगल ग्रह पर है. ये लगभग एवरेस्ट से तीन गुना ऊंचा है. सौरमंडल की सबसे बड़ी घाटी Valles Marineris इसी ग्रह पर है.
मंगल ग्रह का एक दिन 24.6 घंटे का होता है जो पृथ्वी के एक दिन से थोड़ा लंबा होता है. यहां पर धरती से सबसे ज्यादा मिशन भेजे जाते हैं.
इसे "लाल ग्रह" कहा जाता है, और इसके पीछे है विज्ञान का एक रोचक कारण है. मंगल की सतह पर बड़ी मात्रा में आयरन(लोहा) पाया जाता है.
आयरन मंगल के पतले वातावरण और सूर्य के संपर्क में आता है और आयरन और ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया से आयरन ऑक्साइड बनता है.
आयरन ऑक्साइड असल में जंग है. जंग का रंग लाल होता है. पूरे मंगल ग्रह पर जंग बिछी हुई है. इसलिए जब हम दूर से देखते हैं तो मंगल लाल रंग का दिखाई देता है.
मंगल ग्रह पर अब तक अब तक जीवन नहीं मिला है, लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि प्राचीन जीवन के संकेत यहां मिल सकते हैं.
नोट- यहां बताई गईं सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित है. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.