घर की सही दिशा और संरचना हमारे जीवन को सकारात्मक बना सकती है. घर का मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. यह न केवल ऊर्जा का प्रवेश द्वार है बल्कि घर में खुशियां और समस्याएं भी इसी से आती हैं. मुख्य द्वार को साफ-सुथरा रखें, पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें और शुभ चिह्न जैसे स्वास्तिक और ओम का उपयोग करें. शनिवार को दीपक जलाना विशेष शुभ होता है. घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना शुभ होता है.
ड्राइंग रूम की सही दिशा
ड्राइंग रूम, जिसे बैठक कक्ष भी कहते हैं, उत्तर और पश्चिम दिशा में होना चाहिए. यह दिशा मेहमानों के स्वागत और घर में आनंद लाने के लिए आदर्श मानी जाती है. इस स्थान को हल्की सुगंध और फूलों के चित्रों से सजाएं.
शयनकक्ष और बाथरूम का वास्तु
शयनकक्ष की सही दिशा दक्षिण-पश्चिम है, जो स्थिरता और मजबूत रिश्ते बनाती है. बच्चों का बैडरूम पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए. बाथरूम के लिए पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा उपयुक्त है. इसे साफ रखें और हल्के नीले या पर्पल रंग का उपयोग करें.
रसोई के लिए सबसे सही दिशा
रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए, जिसे अग्नि कोण कहा जाता है. यह घर में बरकत और स्वास्थ्य लाने में मदद करता है. रसोई में सूर्य का प्रकाश और धूप बत्ती का उपयोग करें.
सीढ़ियों का वास्तु
सीढ़ियां दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए. क्लॉकवाइज घूमने वाली सीढ़ियां सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं. नैरित कोण में सीढ़ियां सबसे उत्तम मानी जाती हैं.
गणपति की मूर्ति का महत्व
मुख्य द्वार पर गणपति की मूर्ति या चित्र लगाने से घर में शुभता और समृद्धि आती है. गणपति की पीठ बाहर की ओर न रखें. अंदर की ओर रखने से धन और सफलता का आगमन होता है. वास्तु शास्त्र के इन नियमों को अपनाकर आप अपने घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं.