महाराष्ट्र का गणेशोत्सव आज विश्वभर में प्रसिद्ध है। लगभग 125 साल पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे सार्वजनिक स्वरूप दिया। 1893 में मुंबई में सांप्रदायिक दंगे भड़कने के बाद, पुणे के भाऊ साहेब लक्ष्मण जावले ने तनाव कम करने के लिए अपने घर में गणेश पंडाल लगाया। लोकमान्य तिलक ने अपने अखबार केसरी में इसकी तारीफ की और पुणे के केसरी वाडा में सार्वजनिक गणेश पूजा का आयोजन किया।
गणपति उत्सव की तैयारियां देशभर में जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार बाप्पा की इको-फ्रेंडली मूर्तियों की मांग सबसे अधिक है। तमिलनाडु के शिवगंगा से लेकर रामनगरी अयोध्या तक, मूर्तिकार मिट्टी से अद्भुत प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं। अयोध्या में कोलकाता के कारीगर अप्रैल से ही 1 से 14 फीट तक की मूर्तियां बना रहे हैं, जो पानी में आसानी से घुलने का दावा करती हैं।
गणेश उत्सव का शुभारंभ एक हफ्ते बाद होना है। हर साल यह उत्सव पूरे भारत और दुनिया के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का सबसे गहरा रंग महाराष्ट्र में दिखता है। गणेशोत्सव मनाने की शुरुआत महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे से हुई थी। कोंकण में गणपति पूजन की परंपरा कई राजवंशों से होते हुए छत्रपति शिवाजी और फिर पेशवा के दौर में भी समृद्ध होती गई। सनातन धर्म में गजानन को आंधी आराध्य देव माना जाता है।
उज्जैन की सड़कों पर भगवान महाकाल की भव्य सवारी निकली. पुलिस प्रशासन से लेकर आम जनता भी इस सवारी का हिस्सा बनी. महाकाल की सवारी में पुलिस के बैंड के साथ-साथ देश भर से आए कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. उज्जैन के महाधिवराज माने जाने वाले महाकाल की सवारी जब नगर भ्रमण पर निकलती है, तो इसके राजसी ठाठबाठ देखते ही बनते हैं.
लंदन के साउथ हॉल स्थित राम मंदिर में एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। लोग खुशी और उल्लास के साथ झूमते नजर आए। आस्था और उत्साह के इस उत्सव में जन सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान 'हर हर महादेव' के जयकारे लगाए गए। लंदन में प्रवासी भारतीय पिछले 23 वर्षों से इस शोभायात्रा का आयोजन करते आ रहे हैं।
Bajrangbali: कलयुग में महाबली हनुमान को अजर-अमर माना गया है. बजरंगबली की उपासना से भक्त को मोक्ष और उत्तम जीवन का वरदान मिलता है. हनुमान जी की उपासना से श्रद्धालु अपने जीवन को उच्च व्यक्तित्व और मर्यादित ज्ञान से भर सकते हैं.
महाबली हनुमान, जो लोगों के मन में बसे हैं, साध्य भी हैं और सिद्धि भी। वे बलशाली भी हैं और विनम्र भी। आठ सिद्धियों और नौ निधियों को धारण करके भी हनुमान प्रभु राम की भक्ति का प्राण नहीं भूलते। हनुमान जी सद्गुणों की खान हैं। उनकी उपासना करने वाले भक्त को संसार का कोई भी भय भयभीत नहीं कर सकता, कोई भी मुश्किल हताश नहीं कर सकती, कोई भी दुख तोड़ नहीं सकता।
कलियुग में हनुमान जी की उपासना से मोक्ष का रास्ता मिलता है। हनुमान जी को सात चिरंजीवियों में से एक माना जाता है। वे सभी कलाओं में माहिर हैं। हनुमान जी की उपासना से इंसान को विशाल और उदार हृदय का वरदान मिलता है। एक उदार हृदय वाले इंसान को संसार में भरपूर यश, सम्मान और कीर्ति मिलती है। हनुमान जी बुद्धि और बल दोनों का प्रयोग करना जानते हैं।
इस साल रेवती ने एक और बड़ा कदम उठाया है. वह 30,000 से अधिक पौधों और फूलों के बीज गणपति प्रतिमाओं के साथ मुफ्त में बांट रही हैं. साथ ही लोगों को शपथ दिलाएंगी कि हर कोई अपने घर के गमले में गणपति का विसर्जन करें और उसी में पौधा लगाए.
भाद्रपद की शुरुआत के साथ ही सुहागिनों का खास पर्व हरितालिका तीज नजदीक आ गया है. यह पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इसकी तैयारी और रौनक अभी से बाजारों और घरों में दिखाई देने लगी है.
अच्छी बात के इस एपिसोड में पंडित धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि संत तुलसीदास ने हनुमान जी की कृपा से भगवान राम के दर्शन किए. कथा में धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि कैसे हनुमान जी गुरु बनकर राम से मिलवाते हैं. इस चर्चा में बताया गया कि यदि व्यक्ति भगवान के भरोसे रहता है, तो उसे अपनी चिंता स्वयं नहीं करनी पड़ती. भगवान उसकी सारी चिंताएं संभाल लेते हैं. एक उदाहरण श्री नारायण दास भक्त माली जी महाराज का दिया गया, जिन्हें वृंदावन जाने के लिए अचानक ट्रेन का टिकट मिला. इसके साथ ही, एक महात्मा और शिष्य की कहानी भी सुनाई गई, जिसमें 'बिल्ली मत पालना' का उपदेश दिया गया. इस कथा का आशय यह है कि हमें अनावश्यक झंझट नहीं पालने चाहिए, क्योंकि एक छोटी समस्या कई बड़ी समस्याओं को जन्म दे सकती है. इन सभी झंझटों से मुक्ति का एक ही उपाय है. हनुमान जी की भक्ति को जीवन में उतारना. देखिए अच्छी बात.