संत प्रेमानंद जी महाराज ने 21 किलोमीटर की सप्तकोसी परिक्रमा की. इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ प्रेमानंद जी के दर्शन के लिए उमड़ी और पूरा इलाका राधे-राधे की गूंज के साथ आनंदमयी हो गया.
महाराष्ट्र के अहिल्यानगर के रहने वाले 19 साल के देवव्रत महेश रेखे ने वाराणसी के वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में बिना रुकावट 50 दिन में दंडक्रम पारायण किया. यह काम पिछले 200 साल के बाद हुआ है. इससे पहले ये काम वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने किया था.
अच्छी बात के इस एपिसोड में पंडित धीरेंद्र शास्त्री भगवान सत्यनारायण की कथा के महत्व और पहले अध्याय का वर्णन कर रहे हैं. धीरेंद्र शास्त्री बताते हैं कि कथा आती भी हो, तब भी उसे हनुमान जी की तरह धैर्यपूर्वक और श्रद्धा से सुनना चाहिए. कथा में बताया गया है कि कलयुग में मनुष्य के पास समय का अभाव होगा, इसलिए भगवान विष्णु ने नारद जी को एक सरल उपाय बताया है. भगवान विष्णु के अनुसार, सत्यनारायण व्रत का विधि-विधान से पालन करने से मनुष्य को सांसारिक सुख और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है.धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी समझाया कि भगवान ही परम सत्य हैं और बाकी सब मिथ्या है. देखिए अच्छी बात.
मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी आज ही के दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. आज मोक्षदा एकादशी का भी शुभ संयोग है. इस दिन देशभर में कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित हुए हैं. गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं.
अच्छी बात के इस एपिसोड में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बुजुर्गों और बड़ों की सलाह के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने हनुमान जी और जामवंत का उदाहरण देते हुए कहा कि बड़ों का अनुभव जीवन में सही मार्गदर्शन देता है. धीरेंद्र शास्त्री ने 'लवेरिया' और युवाओं के व्यवहार पर कटाक्ष करते हुए एक किस्सा सुनाया, जिसमें एक लड़के की शादी और उसके नाना की जिद का जिक्र था. इसके अलावा, ट्रेन में बुजुर्ग को परेशान करने वाले लड़कों की कहानी के माध्यम से बड़ों के सम्मान की सीख दी गई. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जो बड़ों का सम्मान करते हैं, वे ही जीवन में सफल होते हैं.
हम चाहते हैं कि ओवरथिंकिंग न करें लेकिन यह हमारे बस में नहीं होता. नहीं चाहते हुए भी मन उन ही बातों को सोचता है जिससे हम बचना चाहते हैं. चलिए जानते हैं कि वह कौन से मंत्र हैं जो ओवरथिंकिंग करने से हमें रोक सकती हैं.
Lord vishnu and Sri Krishna: मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती एक ही दिन 1 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु और प्रभु श्रीकृष्ण की आराधना करने से भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का क्या है महत्व?
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने राम कथा में रामेश्वरम के 'छिन्न पुच्छ मारुति' का प्रसंग सुनाया. उन्होंने पंडित श्री गोपालाचार्य जी का उल्लेख करते हुए बताया कि राम सेतु निर्माण के दौरान हनुमान जी ने गिलहरी के छोटे प्रयास का उपहास किया था. इस पर प्रभु राम ने हनुमान जी को दंड स्वरूप भविष्य में पूंछ कटने का वचन दिया. यह बात रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापना के समय सिद्ध हुई जब हनुमान जी की पूंछ टूट गई थी.
Aarti: आरती देवी-देवताओं की कृपा पाने का सबसे सरल और आसान साधन है. हर पूजा पाठ, यज्ञ , अनुष्ठान के अंत में आरती की जाती है. आरती करते समय हमें कुछ विशेष सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए.
Hanuman Ji: हनुमान चालीसा का नियमित पाठ आंतरिक भय और चिंता को दूर कर मानसिक शांति प्रदान करता है. हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नव निधि का दाता और कलियुग में शीघ्र प्रसन्न होने वाला देवता माना जाता है. हनुमान जी का जीवन हमें सिखाता है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और विवेक से काम लिया जाए.
Gita Jayanti and Mokshada Ekadashi 2025: गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी एक ही दिन 1 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों का भी कल्याण होता है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की महिमा और श्रीहरि की पूजा विधि.