देश की नजरें अब एक बार फिर से चंद्रयान-3 पर टिकी हुई हैं. चांद पर सूर्य की रोशनी होने के बाद आज लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को एक्टिव करने की कोशिश की जाएगी. अगर ऐसा संभव हुआ तो इसरो एक नया इतिहास रच देगा. चांद पर 14 दिनों तक सूरज की रोशनी बनी रहती है और 14 दिन रात रहती है. 23 अगस्त को रोशनी का नया साइकिल शुरू होने पर लैंडर विक्रम के साथ रोवर प्रज्ञान ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था.
National Awards in Science: सभी पुरस्कारों में भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सर्वोच्च मान्यता के रूप में एक प्रशस्ति पत्र (सनद) और एक मेडल दिया जाएगा. मौजूदा पुरस्कारों के विपरीत, इन राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों में पद्म पुरस्कारों की तरह कोई नकद राशि नहीं होगी.
Green Hair Effect: शोध से पता चला कि क्लोरीन, हालांकि समस्या को बढ़ा रहा है, लेकिन ये इसका मुख्य कारण नहीं है. कॉपर इसके पीछे का कारण माना जा रहा है. हाल ही में हुई स्टडी में ये बात सामने आई है.
ISRO Polarimetry Mission: इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह मिशन बेहद जरूरी है. इससे अलग-अलग खगोलीय स्रोतों के बारे में पता लगेगा. जैसे- ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे, एक्टिव गैलेक्टिक nuclei, पल्सर विंड nebulae आदि के एमिशन को समझने और मापने में मदद मिलेगी.
ओजोन परत सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकने में मदद करती है. अल्ट्रावायलेट किरणों के सीधे संपर्क में आने से स्किन कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है. मोतियाबिंद और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देखे गए UAP में एलियन की भागीदारी की ओर इशारा करने वाला कोई सबूत नहीं है. नासा ने अपनी रिपोर्ट में न तो किसी दूसरी दुनिया के होने की पुष्टि की है और न ही इससे इनकार किया है.
चंद्रमा पर पानी का अध्ययन इसकी उत्पत्ति और विकास को समझने के लिए सबसे जरूरी है. इसके अलावा, भविष्य में इंसान वहां जाकर बस सकें और कॉलोनी बना सकें इसके लिए जरूरी है कि इस तरह की रिसर्च चलती रहे. साथ ही वहां पानी की खोज भी जरूरी है.
सूर्य की ओर लैग्रेंज प्वाइंट की ओर बढ़ रहे भारत के सौर मिशन आदित्य एल-1 ने कामयाबी की एक और छलांग लगाई है. बीती रात चौथी बार आदित्य एल-1 की कक्षा बदली गई. इसके साथ ही एक बार फिर से इसके सफर के सही ढंग से जारी रहने की पुष्टि हो गई है.
समुद्रयान मिशन भारत का एक महत्वाकांक्षी समुद्री मिशन है. इसके जरिए भारत गहरे समुद्र में मिलने वाले खनिज पदार्थों और जलीय जीवों के बारें में अध्ययन करेगा. सबमर्सिबल मत्स्य-6000 से तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने की योजना है.
आज भारत के वैज्ञानिकों की बात होगी. चांद पर कदम रखने के बाद अब भारतीय वैज्ञानिकों ने समुद्र की गहराई मापने की तैयारी कर ली है. जल्द ही स्वदेशी समुद्रयान समंदर की गहराइयों में छिपे खजाने की तलाश में उतरने वाला है. केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू की इस मिशन पर करीब से निगाहें हैं. देखिए क्या कुछ खास है इस स्वदेशी समुद्रयान में.