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साइंस

Deep Oxygen (Representative Image/Unsplash)

धरती पर कैसे हुई जीवन की शुरुआत…. समुद्र की गहराई में वैज्ञानिकों को मिले नए सबूत

25 जुलाई 2024

इस खोज ने पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं. इस नई तरह की रिसर्च से पता चला है कि लाइट बनने से पहले ही गहरे समुद्र में ऑक्सीजन पैदा की जा सकती थी.

Newborn (Symbolic Picture)

आज के दिन ही पैदा हुई थी दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी, जानें पूरी कहानी

25 जुलाई 2024

25 जुलाई 1978 को इंग्लैंड के ओल्डहैम शहर में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था. उसका नाम लुइस ब्राउन रखा गया था. करीब ढाई किलोग्राम वजन की लुइस सरकारी अस्पताल में पैदा हुई थी. अब तक IVF प्रोसेस से लाखों कपल्स की गोद भर चुकी है. साल 2010 में डॉ. एडवर्ड्स को इस खोज के लिए नोबल पुरस्कार मिला था.

Mitochondrial Disease and Mitochondrial donation (Representative Image/Unsplash)

क्या है माइटोकॉन्ड्रिया डोनेशन, पैदा हो रहे बच्चों के लिए हो सकता है गेम-चेंजर साबित

22 जुलाई 2024

माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन एक आईवीएफ प्रक्रिया है. ये प्रभावित लोगों को ठीक कर सकती है. यह तकनीक बच्चों के लिए काफी प्रभावी हो सकती है. इससे उनकी माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी को ठीक किया जा सकता है.

Man's first landing on the Moon occurred today at 4:17 p.m. July 20, 1969 as lunar module "Eagle" touched down gently on the sea of tranquility on the east side of the Moon. (Photo by Nasa/Getty images)

चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान ने क्या कहा था?

20 जुलाई 2024

International Moon Day: नील आर्मस्ट्रॉन्ग आज से ठीक 55 साल पहले चांद पर पहुंचने वाले पहले इंसान बने. लेकिन वह ऐसा करने वाले आखिरी इंसान नहींं थे. आर्मस्ट्रॉन्ग के एक कदम के बाद इंसानियत के लिए एक लंबा सफर शुरू हो गया. आज भी धरती की इकलौती नैचुरल सैटलाइट को बेहतर तरीके से जानने की कोशिशें जारी हैं.

OpenAI Strawberry Project (Photo: Getty Images)

अब AI हो जाएगा और भी एडवांस, OpenAI कर रहा अपने इस सीक्रेट प्रोजेक्ट पर काम

19 जुलाई 2024

OpenAI अपने नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इसकी मदद से AI को और एडवांस बनाया जा रहा है. इसमें AI की तर्क करने की क्षमता में सुधार करने और AI को खुद इंटरनेट रिसर्च करने के पहलू पर काम किया जा रहा है. 

Rohini Satellite RS-1 (Photo/ISRO)

सालों की मेहनत और कुछ हासिल करने की चाह... 44 साल पहले कुछ ऐसे हुआ था रोहिणी-1 का सफल परीक्षण

18 जुलाई 2024

इस सैटेलाइट को लॉन्च करके भारत दुनिया के विकसित देशों से आगे निकल गया था. रॉकेट लॉन्च करने वाला भारत दुनिया का सातवां देश बना था. यह एक हल्के वजन वाली एल्यूमिनियम एलोए से बनी सैटेलाइट थी. इसका वजन भी कुल 35 किलोग्राम था.

Cave on Moon (Representative Image/Unsplash)

चांद पर गुफा होगी इंसानों का ठिकाना... वैज्ञानिकों को मिली 100 मीटर लंबी गुफा

18 जुलाई 2024

यह गुफा उस जगह से लगभग 400 किलोमीटर दूर है जहां अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ने 1969 में चंद्रमा पर लैंडिंग की थी. यह लगभग 45 मीटर चौड़ी और 80 मीटर तक लंबी है, ये 14 टेनिस कोर्ट के बराबर जगह को कवर करती है.

Brain Cancer Research (Representative Image/Unsplash)

IIT दिल्ली के छात्र ने बनाई ब्रेन कैंसर के लिए दवा, बिना किसी साइड इफेक्ट के होगी बीमारी खत्म!

15 जुलाई 2024

विदित ने 2019 में इस रिसर्च को शुरू किया था. इसमें 10-10 चूहों के 5 ग्रुप लिए गए. चूहे में ट्यूमर सेल डालने के 10 दिन बाद इम्युनोजोम्स थेरेपी देनी शुरू की. एक हफ्ते में इसका असर दिखना शुरू हुआ और 24 दिन ट्यूमर गायब हो गया.

Artemis Mission Astronaut (Photo/Social Media)

पेशाब को पीने लायक पानी में बदल देगा ये नया स्पेससूट, बड़े मिशन में भी एस्ट्रोनॉट को नहीं होगा इंफेक्शन का खतरा

13 जुलाई 2024

वर्तमान में जिस मैक्सिमम अब्जॉर्बेंसी गारमेंट्स का इस्तेमाल होता है वो बहुत कम समय के लिए प्रभावी होते हैं. लंबे मिशन के लिए ये सही नहीं होते हैं. इसमें पेशाब और मल इकट्ठा होता रहता है, जिससे लंबे समय तक उपयोग करने से असुविधा हो सकती है.

Cryogenic Freezing and Eternal life (Representative Image/Getty Images)

मरकर भी फिर से जिंदा हो सकेगा व्यक्ति! क्रायोजेनिक फ्रीजिंग का ऑप्शन चुन रहे हैं दुनिया के अरबपति 

13 जुलाई 2024

क्रायोजेनिक फ्रीजिंग को क्रायोनिक्स के रूप में भी जाना जाता है. इसमें डेड बॉडी को बेहद कम तापमान पर रखा जाता है. साथ ही ये उम्मीद की जाती है कि शरीर बाद में रिवाइव या उसे पुनर्जीवित किया जा सकेगा.

Universe expansion (Representative Image/Getty Images)

खुलेंगे अंतरिक्ष के कई रहस्य! बनाया जा रहा है थर्टी मीटर टेलीस्कोप

12 जुलाई 2024

टीएमटी का लक्ष्य कई अंतरिक्ष से जूुड़े सवालों का समाधान करना है.  साथ ही ऐसी जानकारियां हासिल करना है जो पहले कई कारणों से नहीं मिल सकी हैं. इसकी मदद से कॉस्मिक ओब्जेट्स को और बेहतर तरीके से देखा और समझा जा सकेगा.