आखिर रोज सोते समय आने वाले बुरे सपनों के पीछे का क्या कारण है. बुरे सपने के कारम शरीर में स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है जिससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है.
NASA का 2030 तक चांद पर 100 किलोवाट का न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने का प्लान इस रेस का सबसे बड़ा दांव है. अगर यह सफल हुआ, तो अमेरिका सिर्फ चांद पर बसेगा नहीं, बल्कि वहां के भविष्य का "रूलबुक" भी लिखेगा. चीन, रूस और बाकी देश- सब इस होड़ में अपनी चाल चल रहे हैं.
यह उपलब्धि अत्याधुनिक एयरोस्पेस इनोवेशन के केंद्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाती है, जिससे वैश्विक ध्यान और निवेश आकर्षित होने की संभावना है. यह भारतीय स्टार्टअप्स और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच बढ़ते सहयोग का मार्ग प्रशस्त करता है.
AI पर काम करने वाली दो टीमों ने मिलकर एक चौंकाने वाली स्टडी की. इसमें उन्होंने देखा कि एक AI मॉडल, जिसे “टीचर” कहा गया, दूसरे AI मॉडल यानी “स्टूडेंट” को कुछ ऐसा सिखा सकता है जो सीधे तौर पर लिखा हुआ नहीं होता.
सैम ऑल्टमैन की ओपनएआई ने जीपीटी-5 मॉडल रिलीज़ कर रही है. इस मॉडल की खास बात है कि यह सवालों के तार्किक जवाब देने में सक्षम है. साथ ही काफी सटीक और तेज़ रफ्तार के साथ जवाब देता है.
60 की उम्र के बाद लोग अक्सर रिटायरमेंट को जीवन का अंत मान लेते हैं, लेकिन अरविंदर सिंह ने इस धारणा को बदल दिया है. 80 साल की उम्र में उन्होंने ब्लू ओरिजिन के मिशन NS 34 में शामिल होकर अंतरिक्ष की यात्रा की है. इस मिशन में कुल छह लोग अंतरिक्ष की सैर पर गए थे. अरविंदर सिंह ने अपनी इस यात्रा से यह साबित किया है कि 'ये उम्र महज एक नंबर है'. वह एक ट्रैवलर, पायलट और स्काई डाइवर भी हैं. अरविंदर सिंह का जन्म भारत के आगरा में हुआ था और 1975 में वह अमेरिका पहुंचे, जहां अब वह अमेरिकी नागरिक हैं. उन्होंने अपनी मेहनत से अमेरिका में रियल एस्टेट कंपनी खड़ी की. अंतरिक्ष की ऐतिहासिक यात्रा के बाद अब उनका लक्ष्य दुनिया के सभी देशों की कम से कम एक बार यात्रा करना है.
अरविंदर सिंह ने 80 साल की उम्र में अंतरिक्ष की यात्रा कर एक नया इतिहास रचा है। वे ब्लू ओरिजिन के मिशन एन एस 34 में शामिल होकर अंतरिक्ष की सैर करने वाले छह लोगों में से एक हैं। इस यात्रा से उन्होंने यह साबित किया कि उम्र महज एक नंबर है। अरविंदर सिंह एक ट्रैवलर, पायलट और स्काई डाइवर्स हैं। उनका जन्म भारत के आगरा में हुआ था और 1975 में वे अमेरिका पहुंचे, जहाँ अब वे अमेरिकी नागरिक हैं।
अगर आप किसी बीमार इंसान को देखते हैं और अचानक आपको हल्की बेचैनी या सतर्कता महसूस होती है, तो ये सिर्फ आपकी सोच नहीं है.साइंटिस्ट्स का कहना है कि हमारा इम्यून सिस्टम सिर्फ किसी बीमार को देखने से ही अलर्ट हो सकता है.
इस सर्विस का उद्देश्य यह है कि भविष्य में मेडिकल साइंस इतनी उन्नत हो जाए कि संरक्षित किए गए शरीरों को दोबारा जिंदा किया जा सके. अब तक 650 से अधिक लोग इसके लिए साइन अप कर चुके हैं.
अमेरिका Gene-Edited मीट बाजार में लाने की तैयारी में है. इससे मांस उत्पादन न सिर्फ तेज होगा, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद हो सकता है.
NISAR न केवल तकनीकी रूप से अत्याधुनिक मिशन है, बल्कि यह पृथ्वी की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम है. जलवायु परिवर्तन, आपदाओं की सटीक जानकारी और पर्यावरणीय नीतियों के निर्माण में यह मिशन अहम भूमिका निभाएगा. भारत और अमेरिका के सहयोग से बना यह सैटेलाइट वैश्विक विज्ञान की दिशा में एक नई मिसाल है.