
अगर आप किसी बीमार इंसान को देखते हैं और अचानक आपको हल्की बेचैनी या सतर्कता महसूस होती है, तो ये सिर्फ आपकी सोच नहीं है. साइंटिस्ट्स का कहना है कि हमारा इम्यून सिस्टम सिर्फ किसी बीमार को देखने से ही अलर्ट हो सकता है.
कैसे की गई रिसर्च?
स्विट्ज़रलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ लॉज़ेन की इम्यूनोलॉजिस्ट सारा त्राबानेल्ली और उनकी टीम ने 248 स्वस्थ लोगों पर वर्चुअल रियलिटी (VR) के जरिए रिसर्च की. इसमें सबसे पहले लोगों को VR हेडसेट पहनाकर बीमार और स्वस्थ लोगों के अवतार दिखाए गए. बीमार अवतार में बुखार जैसा रैश, सुस्त चेहरा और कमजोर बॉडी लैंग्वेज दिखाई गई.
क्या हुआ जब लोगों ने बीमार चेहरा देखा?
जैसे ही लोगों ने बीमार अवतार को देखा, उनके दिमाग ने खास पैटर्न में प्रतिक्रिया दी. उनके इम्यून सिस्टम की कुछ कोशिकाएं, जिन्हें इननेट लिम्फॉइड सेल्स (ILCs) कहते हैं, खून में बढ़ने लगीं. ये वही सेल्स हैं जो आमतौर पर शरीर में असली संक्रमण आने पर एक्टिव होती हैं. यानी बीमार व्यक्ति की सिर्फ देखने से ही शरीर को तैयार होने का मैसेज मिल गया.
वहीं जब लोगों को स्वस्थ या सिर्फ डर के इमोशन वाला चेहरा दिखाया गया, तो दिमाग और इम्यून सिस्टम शांत रहा. बीमार चेहरा ही ऐसा ट्रिगर बना जिसने पूरे सिस्टम को अलर्ट कर दिया. रिसर्च में ये भी सामने आया कि जितना ज्यादा दूर से बीमार अवतार दिखा, उतना ज्यादा ब्रेन अलर्ट हुआ.
कुछ दिमागी हिस्से ऐसे एक्टिव हुए जो आमतौर पर फ्लू वैक्सीन लगने के बाद सक्रिय होते हैं.
खासतौर पर हाइपोथैलेमस नाम का हिस्सा, जो दिमाग और इम्यून सिस्टम के बीच मेसेज पास करता है, सबसे ज्यादा एक्टिव दिखा.
टच टेस्ट भी लिया गया
एक एक्सपेरिमेंट में जब लोगों के चेहरे को हल्का छुआ गया और उन्होंने बीमार चेहरा VR में देखा था, तो उन्होंने फौरन बटन दबाया जबकि स्वस्थ या डरावने चेहरे के दौरान उन्हें टच महसूस करने में थोड़ी देर लगी. मतलब, दिमाग पहले से अलर्ट था और शरीर "रेडी टू रिएक्ट" मोड में चला गया था.
क्यों करता है शरीर ऐसा?
ये हमारे शरीर का एक प्राकृतिक फाइट-या-फ्लाइट सिस्टम है. जब दिमाग को लगता है कि कोई खतरा आ रहा है (जैसे कोई बीमार व्यक्ति पास आ रहा है) तो वो तुरंत इम्यून सिस्टम को तैयार कर देता है.
खतरा महसूस होते हैं अलार्म बजा देता है शरीर
रिसर्चर्स का कहना है कि इंसानों में इन्फेक्शन का खतरा केवल छूने से नहीं, बल्कि देखने भर से भी दिमाग-इम्यून सिस्टम की संयुक्त प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है. हमारा शरीर खुद ही खतरे को पहचानना और उस पर रिएक्ट करना जानता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बीमार लोगों से दूरी बनाएं या उनके प्रति संवेदनशीलता न रखें. इस रिसर्च से साफ है कि खतरे को महसूस करते ही शरीर "साइलेंट अलार्म" बजा देता है.