
अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एक खास तरह के जीन एडिटेड सूअर की खेती को मंजूरी दे दी है. यानी 2026 तक आपके खाने की प्लेट में 'CRISPR मीट' परोसा जा सकता है. इससे मांस उत्पादन न सिर्फ तेज होगा, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद हो सकता है.
बीमारी से बचाने के लिए की गई जीन एडिटिंग
ये जीन एडिटिंग स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि सूअरों को PRRS (Reproductive and Respiratory Syndrome) नामक खतरनाक वायरस से बचाने के लिए की गई है. यह वायरस सूअरों की इम्यून सेल्स पर अटैक करता है, जिससे गर्भवती सूअर का मिसकैरेज हो सकता है या छोटे-छोटे पिगलेट्स की मौत तक हो जाती है.
ब्रिटिश कंपनी Genus ने ऐसे सूअर तैयार किए हैं जिनके जीन में एक छोटा सा बदलाव कर दिया गया है. इस बदलाव से सूअर अब PRRS वायरस के ज़्यादातर वेरिएंट्स से सुरक्षित हैं. यह एडिटिंग एक प्रोटीन CD163 के सिर्फ एक हिस्से को हटाकर की गई है. CD163 प्रोटीन वायरस को सूअर के शरीर में घुसने देता है.
क्या होती है जीन एडिटिंग
Gene Editing तकनीक CRISPR जैसी आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके जानवरों के DNA में छोटे बदलाव किए जाते हैं. इससे उनके अंदर बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है या मांस को और अधिक पोषक बनाया जा सकता है. अमेरिका की कई बायोटेक फर्म जैसे कि Recombinetics और Acceligen इस तकनीक पर तेजी से काम कर रही हैं. इन कंपनियों का दावा है कि उनके द्वारा तैयार की गए जानवर बीमारियों से कम प्रभावित होंगे और उनमें मांस उत्पादन ज्यादा होगा.
यह जीन एडिटिंग तकनीक CRISPR नामक टूल से की गई है, जो एक तरह का जैविक कैंची है. यह तकनीक तेज, सटीक और सस्ती मानी जाती है. वैज्ञानिक पहले DNA की खास जगह पहचानते हैं और फिर उसे काटकर बदलाव करते हैं. PRRS-प्रतिरोधी सूअर बाजार में आने वाले पहले बड़े पैमाने पर खाए जाने वाले जीन एडिटेड जानवर हो सकते हैं.
यूरोप में फिलहाल बैन, लेकिन बदलाव की उम्मीद
फिलहाल EU में जीन एडिटेड खाने की बिक्री बैन है. हालांकि इंग्लैंड में कानून बन चुका है, लेकिन अभी सिर्फ फसलों तक सीमित है. लोग जीन एडिटेड फूड को GM फूड की तुलना में ज्यादा नेचुरल मानते हैं. इसलिए उम्मीद है कि विरोध उतना तीखा नहीं होगा जितना पहले GM फसलों के वक्त था.