
लंदन में करीब 30 साल पहले फ्रीज किए गए एक एम्ब्रियो (embryo) से एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ है. यह मामला केवल विज्ञान की एक उपलब्धि नहीं बल्कि उम्मीद से भरी एक अनोखी कहानी भी है. इसी के साथ 26 जुलाई को जन्मे थैडियस डैनियल पियर्स ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना लिया है. वह दुनिया का अब तक का सबसे “पुराना नवजात शिशु” बन गया है, जो 30 साल से भी ज्यादा समय तक फ्रीजर में रहने के बाद मां की कोख से जन्मा.
मां लिंडसे पियर्स कहती हैं, “जन्म थोड़ा कठिन था, लेकिन अब हम दोनों ठीक हैं. वह बहुत शांत बच्चा है, हम हैरान हैं कि यह चमत्कार हमारे साथ हुआ.”
लिंडसे और उनके पति टिम पियर्स लंदन के ओहायो में रहते हैं. इस कपल ने इस भ्रूण को गोद लिया था. यह भ्रूण 1994 में बनाया गया था. लिंडसे कहती हैं, “हमारे चर्च और परिवार वाले कहते हैं, ये किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा है.”
लिंडा की 30 साल की खूबसूरत कहानी
1990 के दशक की शुरुआत में लिंडा आर्चर्ड नाम की महिला छह साल से गर्भधारण की कोशिश कर रही थीं. IVF (In Vitro Fertilization) की नई तकनीक अपनाकर उन्होंने 1994 में चार भ्रूण बनवाए. एक भ्रूण से बेटी का जन्म हुआ, बाकी तीन को क्रायोस्टोरेज में रखवा दिया गया.
लिंडा कहती हैं, “मैं उन्हें अपने तीन नन्हें सपने मानती थी.” पति से तलाक के बाद भी उन्होंने इन भ्रूणों की कस्टडी अपने पास रखी और हर साल लगभग 83,000 रुपये की स्टोरेज फीस भरती रहीं.
डोनेशन नहीं, अपनापन चाहती थीं लिंडा
मेनोपॉज के बाद लिंडा को महसूस हुआ कि वह अब खुद इन भ्रूणों का उपयोग नहीं कर पाएंगी. रिसर्च या अनजान दंपतियों को देना उन्हें सही नहीं लगा. वह चाहती थीं कि बच्चे के माता-पिता से संपर्क बना रहे, क्योंकि यह उनका DNA और बेटी का भाई या बहन होता. तभी उन्हें Snowflakes नाम की एक क्रिश्चियन एजेंसी के बारे में पता चला जो 'ओपन एम्ब्रियो एडॉप्शन' करवाती है.
दूसरे कपल को इस तरह मिला लिंडा का भ्रूण
एजेंसी ने लिंडा से 30 साल पुराने मेडिकल और लैब रिकॉर्ड मांगे. किस्मत से उनका पुराना डॉक्टर अभी भी प्रैक्टिस कर रहा था और उसने बेसमेंट से फाइलें निकालकर भेजीं. पुराने भ्रूणों को एक्सेप्ट करने वाले क्लीनिक कम होते हैं. लिंडा चाहती थीं कि कोई अमेरिकी, ईसाई और शादीशुदा कपल ही इन भ्रूणों को अपनाए.
दूसरी तरफ लिंडसे और टिम पियर्स पिछले सात साल से माता-पिता बनने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने Snowflakes के 'Open Hearts' प्रोग्राम में रजिस्ट्रेशन किया, जिसमें “कोई भी भ्रूण चलेगा” कहकर हर विकल्प चुन लिया. और इस तरह उन्हें लिंडा के भ्रूण मिले.
अनोखी लैब प्रक्रिया, खास तकनीक से पिघलाया गया भ्रूण
थैडियस को जन्म देने वाला भ्रूण पुराने जमाने की ‘स्लो-फ्रीजिंग’ तकनीक से फ्रीज था. इसे पिघलाना नई तकनीकों की तुलना में ज़्यादा मुश्किल होता है. IVF क्लीनिक Rejoice Fertility ने यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक की.
30 साल पुरानी बहन और 10 साल की भांजी भी हैं
थैडियस की जैविक बहन अब 30 साल की है और खुद एक 10 साल की बेटी की मां है. लिंडसे और टिम कहते हैं कि वह अपने बेटे को देखकर हर दिन हैरान होते हैं. “हमने कभी नहीं सोचा था कि 30 साल पुराना भ्रूण भी बच्चा बन सकता है. लेकिन भगवान ने हमें चमत्कार दिया.”