महाराष्ट्र का गणेशोत्सव आज विश्वभर में प्रसिद्ध है। लगभग 125 साल पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे सार्वजनिक स्वरूप दिया। 1893 में मुंबई में सांप्रदायिक दंगे भड़कने के बाद, पुणे के भाऊ साहेब लक्ष्मण जावले ने तनाव कम करने के लिए अपने घर में गणेश पंडाल लगाया। लोकमान्य तिलक ने अपने अखबार केसरी में इसकी तारीफ की और पुणे के केसरी वाडा में सार्वजनिक गणेश पूजा का आयोजन किया।