Kiwi Man of Nainital: अपनी कोशिशों से नैनीताल में क्रांति लाए 90 साल के कीवी मैन... 25 साल से खेती कर इलाके के किसानों को दिखाई राह

संगत सिंह का जो सफर 25 साल पहले शुरू हुआ था उसने उन्हें आज नैनीताल में कीवी मैन की पहचान दिला दी है. नैनीताल के कीवी मैन ने यह सफर कैसे तय किया और अपने क्षेत्र के लोगों को कैसे प्रभावित किया है, आइए जानते हैं.

सगत सिंह की नर्सरी से पौधे नेपाल तक एक्सपोर्ट होते हैं.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST

उत्तराखंड के नैनीताल की पहाड़ियों में बसे निगलाट गांव में रहने वाले 90 साल के सगत सिंह मेहरा ने न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे किसान समुदाय के लिए एक नई पहचान बनाई है. उनकी कीवी की खेती ने इलाके पर ऐसी छाप छोड़ी है कि अब यहां के लोग सगत सिंह को 'कीवी मैन' के नाम से पुकारने लगे हैं.

सगत ने सन् 2000 में कीवी के पौधे लगाने की शुरुआत की थी. 25 साल बाद उनकी नर्सरी में करीब छह हजार ग्राफ्टेड और 15 हजार बीज से उगे कीवी के पौधे तैयार हैं. उनकी नर्सरी से पौधों को देश के दूसरे राज्यों में ही नहीं बल्कि नेपाल तक भेजा जाता है. आइए जानते हैं उनकी कहानी

सगत सिंह कैसे बने कीवी मैन?
सगत सिंह ने करीब ढाई दशक पहले कीवी की खेती बहुत संजीदगी से शुरू नहीं की थी. उन्होंने अपनी ज़मीन पर इसके कुछ पौधे ज़रूर लगाए थे. हालांकि समय के साथ इस फल की मांग बढ़ती गई और वह समय से पहले यह बिज़नेस शुरू करने के कारण बाकी प्रतिद्वंदियों से आगे निकल गए.

'कीवी मैन' सगत सिंह मेहरा बताते हैं, "आजकल ये कीवी का काम करने से लोगों ने मेरे नाम कीवी मैन भी रख दिया है. क्योंकि इस इलाके में कीवी की खेती मैं ही करता हूं. मैंने नैनीताल डिस्ट्रिक्ट के अलावा बागेश्वर, पिथौरागढ़ और आगे भी कीवी भेजे हैं." 

सगत सिंह के बेटे अजय मेहरा बताते हैं कि उन्होंने पिछले कुछ सालों में कीवी की मांग बढ़ती देखी है. उनके मुताबिक यही वजह है कि उनके पिता सिर्फ इसी फल की खेती करने के लिए प्रेरित हुए.

समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ खास बातचीत में अजय कहते हैं, "यह काम मेरे पिता ने 2001-2002 से शुरू किया है. शुरुआत में तो हमने इसको कुछ भी अहमियत नहीं दी थी. आज देखते-देखते इसकी मार्केट अच्छी मिलने लगी है तो लोगों को काफी इससे फायदा हो रहा है तो इसकी डिमांड ज्यादा बढ़ रही है. काफी मात्रा में पिताजी ही इसकी खेती करते हैं." 

दूसरे किसानों को भी किया प्रेरित
सगत सिंह की कामयाबी को देखते हुए कई दूसरे किसान भी अब कीवी की खेती करने लगे हैं. इलाके में कीवी की खेती की बढ़ती लोकप्रियता की बड़ी वजह किसानों को सरकार से मिल रही मदद भी है. फलों की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है.

नैनीताल के मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. रजनीश सिंह कहते हैं, "आने वाले टाइम में जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ रहा है तो हमें या तो नट फ्रूट्स पर निर्भर रहना पड़ेगा या फिर कीवी वगैरह हमारे लिए एक अच्छा ऑप्शन है. पिछले साल हमने कीवी जिला योजना के तहत सात एकड़ में किसानों को 80 पर्सेंट सब्सिडी दी थी. अभी इसकी ग्रोथ ठीक है."

सगत सिंह के मुताबिक कीवी की खेती से इलाके के किसान काफी मुनाफा कमा रहे हैं. उनकी दिखाई हुई राह पर चलकर कई किसानों ने एक स्थिर रोज़गार हासिल कर लिया है. औषधीय गुणों के कारण इस फल का बाजार काफी बड़ा है. उम्मीद है कि यह भविष्य में पहाड़ी इलाके में रहने वाले लोगों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा कर सकेगा. 

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