कोरोना का गहरा असर बीमा पॉलिसियों पर भी, बड़ी बीमा कंपनियों ने मैच्योरिटी से पहले किया सरेंडर

पिछले साल के मुकाबले केवल आठ कंपनियों ने 2021-22 में सरेंडर की गई पॉलिसियों की संख्या में कमी देखी गई. इनमें एसबीआई लाइफ, रिलायंस निप्पॉन, इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस, पीएनबी मेटलाइफ, प्रामेरिका, स्टार यूनियन दाई-इची, एगॉन लाइफ इंश्योरेंस और सहारा इंडिया हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:54 PM IST

कोरोना की वजह से 2021-22 में 2.30 करोड़ से ज्यादा जीवन बीमा पॉलिसियों को मैच्योरिटी से पहले ही बंद कर दिया गया. यह संख्या 2020-21 में समय से पहले सरेंडर की गई पॉलिसियों की संख्या तीन गुना से ज्यादा हो गई है. पहले इन पॉलिसियों की सख्यां  69.78 लाख थी. 

24 मार्च, 2020 को सरकार की तरफ से जारी लॉकडाउन के बाद देश भर में कई लोगों को नौकरियों से बाहर कर दिया था. नतिजतन कई लोगों ने पैसों के लिए अपनी जीवन बीमा पॉलिसियों को समय से पहले बेचना शुरू कर दिया. पिछले साल के मुकाबले में 24 बीमाकर्ताओं में से 16 ने पॉलिसीधारकों की पॉलिसी को समय से पहले बंद कर दिया. राज्य के स्वामित्व वाली जीवन बीमा निगम कंपनियों ने पिछले साल के मुकाबले इस ज्यादा जीवन बीमा पॉलिसियों को बंद कर दिया. बता दें कि जीवन बीमा कारोबार में एलआईसी की बाजार में हिस्सेदारी करीब 64 फीसदी है. 

इनमें मैक्स लाइफ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एचडीएफसी लाइफ, बजाज आलियांज, आदित्य बिड़ला सनलाइफ, कोटक महिंद्रा, टाटा एआईए, एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस, केनरा-एचएसबीसी, श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस, फ्यूचर जेनेराली इंडिया, एजेस फेडरल लाइफ इंश्योरेंस, एडलवाइस टोकियो लाइफ इंश्योरेंस, अवीवा लाइफ इंश्योरेंस और भारती एक्सा, शामिल है , इसके अलावा दूसरे  15 बीमाकर्ता हैं, जिन्होंने इसी साल पॉलिसियों को समय से पहले बेच दिया. 

पिछले साल के मुकाबले केवल आठ कंपनियों में 2021-22 में सरेंडर की गई पॉलिसियों की संख्या में कमी देखी गई.  इनमें एसबीआई लाइफ, रिलायंस निप्पॉन, इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस, पीएनबी मेटलाइफ, प्रामेरिका, स्टार यूनियन दाई-इची, एगॉन लाइफ इंश्योरेंस और सहारा इंडिया हैं. इन कंपनियों के पॉलिसीधारकों ने 2021-22 में 4.93 लाख पॉलिसी सरेंडर की हैं, जो 2020-21 के मुकाबले 21.7 फीसदी कम है. 

जिन कंपनियों ने पिछले साल के मुकाबले ज्यादा पॉलिसियों को बेचा वो हैं-  एलआईसी (298.3 प्रतिशत); एचडीएफसी लाइफ (149 फीसदी); एडलवाइस टोकियो (117.4 प्रतिशत); केनरा एचएसबीसी (66.4 प्रतिशत); फ्यूचर जेनराली (49.4 फीसदी); टाटा एआईए (43.45 प्रतिशत); और श्रीराम (27.4 प्रतिशत), मैक्सलाइफ (16.2 प्रतिशत). 

जब कोई पॉलिसीधारक मैच्योरिटी से पहले अपनी पॉलिसी को सरेंडर करता है, तो उसे जमा किए गए प्रीमियम का केवल एक छोटा प्रतिशत मिलता है. लेकिन इसके लिए अलग-अलग कंपनियों के अलग-अलग नियम हैं. एलआईसी की पॉलिसी के मुताबिक, सरेंडर वैल्यू पूरे तीन साल के प्रीमियम के बाद ही देय होती है . हालांकि एलआईसी ने  इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है. 


 

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